Daksh Brothers Rover : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में पिछले 12 नवंबर से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने की जद्दोजहद जारी है. कई अधिकारी और विशेषज्ञ चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच जो असली काम कर रहे हैं, वे दक्ष बंधु हैं. इन दक्ष बंधुओं में दक्ष मिनी और दक्ष स्कॉट शामिल हैं. ये दोनों रोबोटिक रोवर हैं, जो रिमोट से काम करते हैं. इन दोनों दक्ष बंधुओं को रक्षा अनुसंघान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है. डीआरडीओ ने इन्हें सुरंग के मलबे को हटाकर श्रमिकों के निकलने के लिए रास्ता बनाने के लिए मौके पर भेजा है.
बचाव टीम के अनुरोध पर तैनात किए गए हैं दक्ष बंधु
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डीआरडीओ ने उत्तरकाशी के सिलक्यारी सुरंग के पास घटनास्थल पर काम कर रही बचाव टीमों के अनुरोध पर दक्ष मिनी और दक्ष स्काउट को भेजा है, जहां पिछले रविवार को भूस्खलन के कारण 41 श्रमिकों का बाहर निकलने का काम बंद हो गया था. रिपोर्ट के अनुसार, स्थलाकृति और मिट्टी की प्रकृति के कारण सुरंग में बचाव अभियान धीमी गति से आगे बढ़ रहा है.
कैसे काम करता है दक्ष मिनी
बता दें कि दक्ष मिनी एक रिमोट वाहन है, जो छोटी सी जगह में भी आसानी से काम करता है. ये बैटरी से संचालित किया जाता है. इसके बारे में कहा जाता है कि एक बार चार्ज करने के बाद यह दो घंटे तक काम कर सकता है. इसकी रिमोट की रेंज करीब 200 मीटर है. यह मूल रूप से आरओवी है, जो मिट्टी या मलबे को हटाने के लिए अपने हाथ का इस्तेमाल करता है. दक्ष मिनी के इस हाथ को मैनिपुलेटर आर्म कहा जाता है. इसमें करीब 20 किलोग्राम तक भार उठाने की क्षमता है. आम तौर पर इसे इम्प्रोवाइज्ड विस्फोटक उपकरणों को संभालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. दक्ष मिनी में हाई रिजॉऊल्यूशन वाले कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि इसे कंट्रोल करने वाले बेहतर ढंग से संभाल सके.
दक्ष स्काउट का क्या है काम
वहीं, दूसरे आरओवी दक्ष स्काउट की बात की जाए, इसे निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है. यह एक निगरानी रोवर है. यह किसी भी प्रकार की सतह पर काम कर सकता है. यह सीढ़ियां भी चढ़ सकता है और ढलान सतहों पर पर भी आसानी से उतर सकता है. इस रोवर में 360 डिग्री विजुअल वाले कैमरे लगे हैं. इन कैमरों के जरिए वास्तविक समय पर किसी दुरूह जगह के दृश्य को आसानी से देखा जा सकता है. दक्ष स्काउट चौबीसों घंटे काम कर सकता है और इसमें बम निष्क्रिय करने की एडवांस कैपिबिलिटी है. इन दोनों रोवर्स की खासियत उनकी पोर्टेबिलिटी है. दोनों का मास्टर कंट्रोल बैकपैक में फिट किया जा सकता है और इन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है.
श्रमिकों को निकालने का किया जा रहा प्रयास
बताते चलें कि 41 मजदूर 12 नवंबर से निर्माणाधीन सुरंग में फंसे हुए हैं. यह सुरंग केंद्र की महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजनाओं का हिस्सा है, जो उत्तरकाशी और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए प्रस्तावित सड़क पर उत्तराखंड में सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच स्थित है. बचावकर्मियों का कहना है कि उन्होंने मलबे में लगभग आधा ड्रिल कर लिया है और वे एक पाइप को इतना चौड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं कि लोग रेंगकर बाहर निकल सकें.