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इलेक्ट्रिक कार घाटे का सौदा…पेट्रोल कार खरीदकर 5 साल में बचाएं 5 लाख!

Electric car महंगे होने के बावजूद भी लोगों को अपने ओर आकर्षित कर रही है, पर क्या सच में इलेक्ट्रिक कार खरीदना फायदे का सौदा है? आज हम आपको रनिंग कॉस्ट के हिसाब से बताएंगे कि कैसे आप इलेक्ट्रिक की जगह पेट्रोल कार खरीदकर 5 सालों में 5 लाख रुपये तक की बचत कर सकते हैं!

Electric car Buying is loss making deal buy petrol car save Rs 5 lakh in 5 years: भारत में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री काफी तेजी के साथ ग्रो कर रहा है, खासतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों का क्रेज इस वक्त इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सिर चढ़ कर बोल रहा है. इलेक्ट्रिक कारों की चलने की लागत बहुत कम है, और उनका रखरखाव खर्च भी कम है, जिससे ग्राहकों के मन में इसे सस्ता विकल्प मानने की छवि बन जाती है. लेकिन इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल वाली कारों की तुलना में काफी ज्यादा होती है. ऐसे में अगर आप इलेक्ट्रिक कार खरीदते हैं, तो आप इन कारों की कीमत में अंतर की भरपाई कब तक कर पाएंगे, आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.

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कीमत में क्या अंतर है?

उदाहरण के लिए, अगर हम टाटा नेक्सॉन के इलेक्ट्रिक और पेट्रोल वर्जन की तुलना करें, तो इसे हम इस तरह समझ सकते हैं. टाटा नेक्सॉन के XMA AMT पेट्रोल वेरिएंट की कीमत 70 हजार रुपये के रोड टैक्स के साथ ऑन रोड कीमत 11.23 लाख रुपये है. जबकि टाटा नेक्सॉन ईवी प्राइम के XZ प्लस वेरिएंट की ऑन रोड कीमत लगभग 17.21 लाख रुपये है. इलेक्ट्रिक वाहनों पर आपको रोड टैक्स नहीं देना होता है, तो अब दोनों कारों के बीच लगभग 6 लाख रुपये का अंतर है.

चलने की लागत क्या है?

अगर हम 5 साल की चलने की लागत की बात करें, तो मान लीजिए कि आप रोजाना 40 किमी चलते हैं, तो सालाना औसतन 14,600 किमी का सफर तय करेंगे. जिसमें पेट्रोल कार में प्रति किलोमीटर चलने का खर्च 7 रुपये और इलेक्ट्रिक कार में प्रति किलोमीटर 0.70 रुपये है. इस खर्च के अलावा, बीमा और सर्विस जैसे अन्य सभी खर्चों को मिलाकर आपको 5 साल में लगभग 6 लाख रुपये खर्च करने होंगे. ऐसे में 5 साल बाद पेट्रोल कार पर कुल खर्च (कीमत और चलने की लागत) 17.21 लाख रुपये है, जबकि इलेक्ट्रिक कार की लागत 5 साल बाद 18.82 लाख रुपये है. इसका मतलब है कि 5 साल बाद भी इलेक्ट्रिक कार पेट्रोल कार की तुलना में महंगी ही पड़ेगी.

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यह भी समझिए

दोनों कारों की कीमतों के बीच 6,00,000 रुपये के अंतर को एक निवेश माना जा सकता है. यानी पेट्रोल कार खरीदने वाला व्यक्ति अगर बचे हुए 6 लाख रुपये का 5 साल का FD करा लेता है, तो वह लगभग 8 लाख रुपये हो जाता है. इसका मतलब है कि आप अभी भी पेट्रोल कार खरीदने से फायदा उठा सकते हैं.

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