नई दिल्ली : भारत में एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स) का उत्पादन, बिक्री और डिमांड में पिछले कुछ सालों से बढ़ोतरी देखी जा रही है. वाहन निर्माता कंपनियां, पेट्रोल-डीजल और सीएनजी से चलने वाली एसयूवी कारों के निर्माण के साथ-साथ अब इलेक्ट्रिक वर्जन में भी एसयूवी कारों का निर्माण करना शुरू कर दिया है. लेकिन, भारत में एसयूवी का निर्माण और बिक्री करने वाली देसी-विदेशी कंपनियों को ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (ग्लोबल एनसीएपी) ने जोरदार झटका दिया है. ग्लोबल एनसीएपी ने सरकार को आगाह किया है कि भारत में एसयूवी कारों की बढ़ती मांग, बिक्री और उत्पादन से सड़क सुरक्षा और पर्यावरण को खतरा है.
अक्टूबर में एसयूवी कारों की 1.72 लाख यूनिट्स की बिक्री
आपको बता दें कि भारत में अक्टूबर महीने के दौरान एसयूवी कारों की करीब 1,72,922 इकाइयों की बिक्री की गई, इसमें महिंद्रा स्कॉर्पियो टॉल सेलिंग एसयूवी कार है. महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अक्टूब महीने में इसकी कार की करीब 13,578 इकाइयों की बिक्री की. इसके अलावा, हुंडई क्रेटा की 13,077 इकाइयां, किआ सेल्टोस की 12,362 इकाइयां, मारुति ग्रैंड विटारा की 10,834 इकाइयां, महिंद्रा बलेरो की 9,647 इकाइयां, महिंद्रा एक्सयूवी 700 की 9,297 इकाइयां, होंडा एलीवेट की 4,957 इकाइयां, टायोटा अर्बन क्रूजर हाइराइडर की 3,987 इकाइयां, एमजी हेक्टर की 2,703 और टोयोटा फॉर्च्यूनर की 2,475 इकाइयां बेची गईं.
एसयूवी की बिक्री को हतोत्साहित करे सरकार : ग्लोबल एनसीएपी
ग्लोबल एनसीएपी ने सरकार से कहा है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री द्वारा बड़े और भारी स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) बेचने की लगातार कोशिश सड़क सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरणीय चुनौती भी है और सरकार को इन बड़े वाहनों की बिक्री को हतोत्साहित करना चाहिए. इंस्टिट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में ग्लोबल एनसीएपी के कार्यकारी अध्यक्ष डेविड वार्ड ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए अधिकतम कदम उठाए हैं, जिसमें जीएनसीएपी के साथ साझेदारी के साथ भारत एनसीएपी का विकास भी शामिल है.
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एसयूवी से सड़क सुरक्षा के लिए बुरी खबर
ग्लोबल एनसीएपी के कार्यकारी अध्यक्ष डेविड वार्ड ने कहा कि बड़े और भारी एसयूवी की बिक्री सड़क सुरक्षा के लिए बुरी खबर है. विशेष रूप से यह छोटे, अधिक (ईंधन) कुशल वाहन चलाने वालों और जोखिम वाली सड़कों का इस्तेमाल करने वालों की दृष्टि से और खराब है. वार्ड के अनुसार, इससे कुछ जोखिम वाले सड़कों पर वाहन में सवार लोगों के लिए घातक चोटों का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि उनसे टकराने वाले वाहन की बोनट की ऊंचाई बढ़ जाती है.
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भारी, लंबी और पावरफुल हो गई हैं कारें
उन्होंने कहा कि भारत और अन्य देशों में एसयूवी की बढ़ती वृद्धि और मांग- एक बड़ी सड़क सुरक्षा और पर्यावरण चुनौती है. सरकारों को इन बड़े वाहनों की बिक्री को हतोत्साहित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कारें भारी, लंबी और अधिक शक्तिशाली हो गई हैं. उदाहरण के लिए, किसी पैदल यात्री या साइकिल चालक को 90 सेमी ऊंचे बोनट वाली कार से टक्कर लगने पर 10 सेमी ऊंचे बोनट वाले वाहन से टकराने की तुलना में घातक चोट लगने का जोखिम 30 प्रतिशत अधिक होता है. उन्होंने कहा कि बड़ा वाहन अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए गंभीर चोट के जोखिम को मध्यम आकार की एसयूवी की तुलना में लगभग एक-तिहाई अधिक बढ़ा दिया है.