नयी दिल्ली: नरेंद्र मोदी की सरकार ने दुनिया की दिग्गज कंपनियों गूगल (Google), फेसबुक (Facebook) और ट्विटर (Twitter) को फटकार लगायी है. तीनों कंपनियों से कहा गया है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर आ रहे फेक न्यूज (Fake News) को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करें. बताया जा रहा है कि सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों के साथ गूगल, फेसबुक और ट्विटर के बड़े अधिकारियों की वर्चुअल मीटिंग में तीखी बहस हुई.
गर्मागर्म बहस के दौरान भारत सरकार की ओर से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि बार-बार कहने के बावजूद गूगल, ट्विटर और फेसबुक से फेक न्यूज को हटाया नहीं जा रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स ने रायटर के हवाले से यह रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तीनों कंपनियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, इसलिए भारत सरकार को संवाद के लिए मजबूर होना पड़ा.
रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत सरकार के अधिकारियों ने गूगल, फेसबुक और ट्विटर की आलोचना करते हुए कहा कि कंपनियां फेक न्यूज के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रही. इसलिए भारत सरकार को कार्रवाई करनी पड़ती है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना होती है. भारत सरकार पर अभिव्यक्ति की आजादी के हनन का आरोप लगता है. सूत्रों ने बताया कि सोमवार को वर्चुअल मीटिंग (Virtual Meeting) हुई, जिसमें गर्मागर्म बहस हुई.
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सूत्रों ने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गूगल, फेसबुक और ट्विटर को मीटिंग में कोई अल्टीमेटम नहीं दिया. हालांकि, सरकार इन टेक कंपनियों की नकेल कसने में जुटी हुई है. इसलिए इससे जुड़े कानूनों में बदलाव किये जा रहे हैं. गूगल, फेसबुक और ट्विटर ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो भारत सरकार ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को विशेष अधिकार दिये, जिसका इस्तेमाल करते हुए 55 यूट्यूब चैनल (YouTube Channel) के अलावा कुछ ट्विटर और फेसबुक अकाउंट को बंद कर दिया गया.
भारत सरकार ने आरोप लगाया कि इन चैनलों के जरिये भारत विरोधी ‘फेक न्यूज’ फैलाया जा रहा (Spreading Fake News) था. नफरत भरे ये संदेश पाकिस्तान की सरजमीं से फैलाये जा रहे हैं. बैठक में शेयरचैट (ShareChat) और कू (Koo) के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. इनके भी लाखों यूजर भारत में हैं. इस मामले में न तो फेसबुक, जो अब मेटा ( Facebook now known as META) के नाम से जाना जाता है, उसने कोई प्रतिक्रिया दी, न ही ट्विटर और शेयरचैट ने. भारत सरकार ने भी इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया है.
अल्फाबेट इंक के गूगल (Alphabet Inc’s Google) ने मीटिंग में हुई चर्चा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन एक बयान जारी कर कहा कि वह सरकार के आग्रह की समीक्षा कर रही है. गूगल ने कहा है कि वह स्थानीय कानून के अनुसार, हर जगह जरूरी कार्रवाई करता है. नियमों के मुताबिक, कंटेंट को रोकते भी हैं और उसे हटाते भी हैं. वहीं, कू (Koo) ने कहा है कि वह नियमों का पालन करता है और कंटेंट का नियमन करता है.
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ट्विटर ने अपने ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट्स में कहा है कि भारत सरकार सबसे ज्यादा कंटेंट हटाने की मांग करती है. टेक्नोलॉजी वेबसाइट Comparitech ने अक्टूबर में कहा था कि भारत सरकार ने वर्ष 2020 में 97,631 सामग्रियों को हटाने का आग्रह किया था. कंटेंट हटाने की मांग करने वालों में रूस के बाद भारत दूसरे स्थान पर रहा. सबसे ज्यादा सामग्री फेसबुक और गूगल से हटाने के लिए कहा गया.
Posted By: Mithilesh Jha