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NHAI खास तरीकों का उपयोग करके दिल्‍ली एनसीआर को प्रदूषण और गर्मी से राहत दिलाएगी, जानें पूरी डिटेल

उत्‍तर भारत के सभी राज्‍यों में भीषण गर्मी पड़ रही है। इसके साथ ही दिल्‍ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्‍या गंभीर हो रही है। जिसे देखते हुए अब नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की ओर से खास तरीके का उपयोग कर राहत दिलाने की कोशिश की जाएगी। यह तरीका क्‍या है और इससे किस तरह से फायदा

NHAI दिल्‍ली एनसीआर सहित पूरा उत्‍तर भारत इन दिनों भीषण गर्मी से परेशान हो रहा है। ऐसे में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से महत्‍वपूर्ण कदम उठाते हुए इन खास तरीकों उपयोग करके दिलाने को राहत दिलाने की कोशिश को शुरू की जाएगी संस्‍थान की ओर से किस तरह का कदम उठाया जाएगा. हम आपको इस खबर में बता रहे हैं.

खास तरीके से मिलेगी राहत

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया दिल्‍ली एनसीआर के आस-पास एक अनूठी पहल को शुरू करेगा। इस पहल के तहत NHAI बड़ी संख्‍या में पौधों को लगाएगा। इसके लिए खास मियावाकी पद्धति का उपयोग किया जाएगा।

कितनी जगह पर लगाए जाएंगे पौधे

मियावाकी जैसी पद्धति से पौधे लगाने के लिए दिल्‍ली एनसीआर में करीब 53 एकड़ से ज्‍यादा जमीन की पहचान कर ली गई है। इसमें द्वारका एक्सप्रेसवे के हरियाणा क्षेत्र पर 4.7 एकड़ और  दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के दिल्ली-वडोदरा खंड पर सोहना के पास 4.1 एकड़ और  हरियाणा में अंबाला-कोटपुतली कॉरिडोर के एनएच 152डी पर चाबरी और खरखरा इंटरचेंज पर लगभग पांच एकड़ और  एनएच-709बी पर शामली बाईपास पर 12 एकड़ से भी  ज्‍यादा जमीन  और गाजियाबाद के पास ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर दुहाई इंटरचेंज पर 9.2 एकड़ और उत्तर प्रदेश में एनए च-34 के मेरठ-नजीबाबाद खंड के पास 5.6 एकड़ जमीन शामिल भी है।

क्‍यों खास है मियावाकी पद्धति

मियावाकी पद्धति मुख्‍य तौर पर जापान की अनूठी पद्धति है, जिसके जरिए पौधों को बड़ा किया जाता है। इसके जरिए काफी कम समय में घने, देसी और जैव विविधता वाले वनों का निर्माण किया जा सकता है। इस पद्धति से, पेड़ दस गुना तेजी से बढ़ते हैं। इसका फायदा यह होता है कि इनसे आवाज, धूल को तो रोका ही जा सकता है। साथ ही इनके कारण ग्राउंड वॉटर लेवल को बेहतर किया जा सकता है।

पूरे भारत में होगा विस्‍तार

मंत्रालय के मुताबिक अगर इस तरह की पद्धति के नतीजे सफल हो जाते हैं, तो फिर पूरे देश में इस पद्धति के जरिए हाइवे और एक्‍सप्रेस वे को हरा-भरा बनाने के साथ ही प्रदूषण को कम करने की कोशिश की जाएगी।

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