PM Modi Mann Ki Baat Digital India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ऑनलाइन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने वाले ऐप ‘ई-संजीवनी’ की पहुंच भारत में डिजिटल क्रांति की शक्ति को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि 10 करोड़ से अधिक लोगों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है.
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 98वीं कड़ी में उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी ऐप आम आदमी, मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए जीवन रक्षक ऐप बन गया है. उन्होंने कहा, ये है भारत की डिजिटल क्रांति की शक्ति.
Also Read: Digital India की राह में रोड़ा बन सकता है महंगा Data खर्च, केंद्रीय मंत्री ने कही यह बात
मोदी ने कहा कि इस ऐप का उपयोग कर अब तक ‘टेलीकंसल्टेशन’ करने वालों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है. उन्होंने कहा, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. भारत के लोगों ने तकनीक को कैसे, अपने जीवन का हिस्सा बनाया है, ये इसका जीता-जागता उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में ई-संजीवनी ऐप के जरिये ‘टेलीकंसल्टेशन’ एक बड़ा वरदान साबित हुआ. प्रधानमंत्री ने इस दौरान एक चिकित्सक और एक मरीज से संवाद भी किया. उन्होंने कहा, देश के सामान्य लोगों के लिए, मध्यम वर्ग के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए, ई-संजीवनी जीवन रक्षा करने वाला ऐप बन रहा है.
Also Read: Digital India Act कैसा होगा? आईटी मंत्री बोले- डेटा रेगुलेशन पर सख्त होंगे प्रावधान
प्रधानमंत्री ने भारत के डिजिटल लेनदेन के मंच ‘यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस’ (यूपीआई) का भी उल्लेख किया और कहा कि दुनिया के कई देश इसकी तरफ आकर्षित हैं. उन्होंने भारत और सिंगापुर के बीच हाल में डिजिटल लेनदेन लिंक सेवा शुरू किये जाने का जिक्र करते हुए कहा, भारत का ई-संजीवनी ऐप हो या फिर यूपीआई, ये जीवन जीने की सुगमता को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुए हैं.
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भारत को स्वच्छ बनाने में योगदान करने और प्लास्टिक थैलों की जगह कपड़ों के थैलों का इस्तेमाल करने की अपील की. उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान ने देश में जन-भागीदारी के मायने बदल दिए हैं. इस क्रम में उन्होंने हरियाणा के दुल्हेड़ी गांव के सफाई अभियान की चर्चा की, जिसमें ग्रामीणों ने भिवानी शहर को स्वच्छता के मामले में अनुकरणीय शहर बनाने के लिए युवा स्वच्छता एवं जनसेवा समिति का गठन किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे जुड़े युवा तड़के चार बजे ही भिवानी पहुंचकर शहर में अलग-अलग स्थानों पर सफाई अभियान चलाते थे. उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि इस समिति से जुड़े युवा अब तक शहर से कई टन कचरा साफ कर चुके हैं.
‘कचरे से कंचन’ की अवधारणा को स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा करार देते हुए मोदी ने ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में स्व:सहायता समूह चलाने वाली कमला मोहराना का उदाहरण दिया और कहा कि इस समूह की महिलाएं टोकरी और मोबाइल स्टैंड जैसी वस्तुएं दूध के पाऊच और अन्य प्लास्टिक पैकिंग सामग्री से बनाती हैं. उन्होंने कहा, इससे समूह से जुड़ी महिलाओं को अच्छी आमदनी हो रही है और स्वच्छता भी बढ़ रही है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का अद्भुत मंच बन गया है. उन्होंने कहा कि जब ‘समाज की शक्ति बढ़ती है तो देश की शक्ति भी बढ़ती है.’ उन्होंने संवाद के इस माध्यम से पारंपरिक खेलों और भारतीय खेलों को बढ़ावा दिये जाने सहित अपने विभिन्न आह्वानों का उल्लेख किया और कहा कि लोगों ने इनमें बढ़-चढ़कर भागीदारी की.
गौरतलब है कि विपक्षी दल ‘मन की बात’ कार्यक्रम की अक्सर आलोचना करते हैं और आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री सिर्फ अपने मन की बात करते हैं जनता की नहीं सुनते हैं. उन्होंने कहा, इस सफर में ‘मन की बात’ को आप सभी ने जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का अद्भुत मंच बना दिया है. उन्होंने कहा, आप अपने मन की शक्ति को तो जानते ही हैं. वैसे ही, समाज की शक्ति से कैसे देश की शक्ति बढ़ती है, ये हमने ‘मन की बात’ की अलग-अलग कड़ियों में देखा और समझा है. मैंने इन्हें अनुभव किया है और स्वीकार भी किया है.
मोदी ने इस दौरान कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम में भारत के पारंपरिक खेलों, भारतीय खिलौनों को प्रोत्साहन की बात की थी और लोगों ने इसमें बढ़चढ़कर भागीदारी की. उन्होंने कहा, जब मैंने भारत के पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन की बात की थी, तुरंत उस समय देश में एक लहर सी उठ गई भारतीय खेलों से जुड़ने की, इनमें रमने की, इन्हें सीखने की. जब, भारतीय खिलौनों की बात हुई, तो देश के लोगों ने इसे भी हाथों-हाथ बढ़ावा दे दिया. अब तो भारतीय खिलौनों की इतनी मांग हो गई है कि विदेशों में भी इनकी मांग बहुत बढ़ रही है.
इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती ‘एकता दिवस’ पर गीत, लोरी और रंगोली से जुड़ी प्रतियोगिताओं और इनके विजेताओं का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इन प्रतियोगिताओं में 700 जिलों के पांच लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया.
प्रधानमंत्री ने संगीत और निष्पादन-कला के क्षेत्र में उदीयमान कलाकारों को दिये जाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार का उल्लेख किया और कहा कि हाल में ऐसे कलाकारों को भी पुरस्कृत किया गया है, जिन्होंने लोकप्रियता खो चुके वाद्ययंत्रों को फिर से लोकप्रिय बनाया है.
उन्होंने ऐसे ही एक कलाकार जॉयदीप मुखर्जी की चर्चा की जो सुर-सिंगार को एक बार फिर से लोकप्रिय बनाने के प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने उप्पलपु नागमणि की भी सराहना की, जिन्हें मैंडोलिन पर कर्नाटक शैली की धुनों के लिए पुरस्कृत किया गया है.
होली के त्योहार का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से अनुरोध किया कि वे इसे ‘वोकल फॉर लोकल’ के संकल्प के साथ मनाएं. (भाषा)