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How To : चांद और मंगल पर कैसे चलेगी टोयोटा की बेबी लूनर क्रूजर, कहां से मिलेगी पावर?

निया की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी ने लैंड क्रूजर के नाम पर अपने लूनर मिशन के तहत बनाई जाने वाली कार का नाम बेबी लूनर क्रूजर रखा है. यह प्रेशराइज्ड मून रोवर है और यह अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा अथवा मंगल ग्रह की सतह पर निवास और खोज करने में मदद प्रदान करेगी.

नई दिल्ली : जापान की कार बनाने वाली कंपनी टोयोटा मोटर ने अभी ही में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा और मंगल की सतह पर सैर कराने और खोज करने के लिए लूनर मिशन के तहत बेबी लूनर क्रूजर नामक कार के कॉन्सेप्ट का खुलासा किया है. हालांकि, जापानी ऑटोमेकर टोयोटा ने वर्ष 2019 में ही जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के साथ मिलकर हाइड्रोजन से चलने वाली मून रोवर के विकसित करने की घोषणा की थी. टोयोटा यूरोप डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रमा की सतह पर धूल भरे वातावरण और बर्फ के तौर पर जमे हुए पानी का ऊर्जा के स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करने की दिशा में टोयोटा मोटर का लूनर मिशन काफी रोमांचक होगा.

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मीडिया की रिपोर्ट को मानें, तो दुनिया की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी ने लैंड क्रूजर के नाम पर अपने लूनर मिशन के तहत बनाई जाने वाली कार का नाम बेबी लूनर क्रूजर रखा है. यह प्रेशराइज्ड मून रोवर है और यह अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा अथवा मंगल ग्रह की सतह पर निवास और खोज करने में मदद प्रदान करेगी. इस बीच, हर किसी के मन में सबसे बड़ा सवाल यह पैदा हो रहा है कि जापानी वाहन निर्माता कंपनी बेबी लूनर क्रूजर को चंद्रमा की सतह पर उतार तो देगी, लेकिन उसे ईंधन कहां से मिलेगा? वह वहां पर कैसे काम करेगी और उसमें किस प्रकार के तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे कि चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्री जिंदा रहकर खोज कर सकेंगे? इन्हीं सब सवालों का जवाब जानने के लिए आइए पढ़ते हैं यह खास रिपोर्ट…

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बेबी लूनर क्रूजर में किसी तकनीक का किया गया है इस्तेमाल?

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, टोयोटा ने अपने लूनर मिशन के तहत बेबी लूनर क्रूजर में री-जेनरेटिंग फ्यूल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है. इसके साथ ही, जापानी वाहन निर्माता कंपनी ने इस गाड़ी को विकसित करने के लिए जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी यानी जाक्सा के साथ हाथ मिलाया है. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि जापान जाक्सा के माध्यम से न केवल अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के आउटर पोस्ट पर उतारने की योजना पर काम कर रहा है, बल्कि अमेरिका के साथ मिलकर आर्टेमिस मिशन पर भी काम कर रहा है.

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कब तक चंद्रमा की सतह पर उतरेगी बेबी लूनर क्रूजर

टोयोटा के अधिकारियों ने एसोसिएटेड प्रेस से बातचीत करते हुए बताया कि वर्ष 2040 तक बेबी लूनर क्रूजर को चंद्रमा की सतह पर उतारने का हमारा लक्ष्य है. इसके बाद हम मंगल ग्रह पर इसे भेजने की योजना पर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से मानवयुक्त वाहन होगा.

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कैसी होगी टोयोटा की बेबी लूनर क्रूजर

रिपोर्ट में कहा गया है कि जापानी कार कंपनी टोयोटा मोटर जाक्सा के साथ मिलकर जिस बेबी लूनर क्रूजर को विकसित कर रही है, उसमें सफर करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस सूट पहनने की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही, इसमें करीब दो अंतरिक्ष यात्रियों को आरामदायक तरीके से रहने के लिए करीब 460 क्यूबिक फीट जगह दी गई है. हालांकि, आपात स्थिति इसमें करीब चार अंतरिक्ष यात्री निवास कर सकते हैं. खास बात यह है कि इस बेबी लूनर क्रूजर में बैठे अंतरिक्ष यात्री न केवल आपस में बातचीत कर सकते हैं, बल्कि वे चंद्रमा की सतह पर रहकर नींद के साथ-साथ भोजन भी कर सकते हैं.

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चंद्रमा की सतह पर कैसे काम करेगी बेबी लूनर क्रूजर

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मून रोवर बेबी लूनर क्रूजर का इस्तेमाल चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का पता लगाने के लिए किया जाएगा. आम तौर पर स्पेस मिशन के तहत चंद्रमा की सतह पर भेजे जाने रोवर में पावर जेनरेशन के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जाता है. इस पैनल के जरिए चंद्रमा की सतह पर दिन के समय सूर्य की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करके बैटरी को चार्ज किया जाता है और फिर रात के समय उसी बैटरी से रोवर को पावर सप्लाई की जाती है, तब रोवर चंद्रमा की सतह पर मूवमेंट करते हैं. बता दें कि चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. ऐसे में, चंद्रमा पर रात के समय बैटरी में सोलर पैनल के जरिए सूर्य की रोशनी से प्राप्त ऊर्जा को स्टोर करके रखना कठिन तो नहीं, लेकिन बड़ी चुनौती जरूर है. टोयोटा का दावा है कि चंद्रमा की सतह पर रोवर की बैटरी में ऊर्जा को स्टोर करके रखने के लिए एक खास तकनीक की जरूरत होगी. इसी के समाधान के लिए गंभीरता से काम किया जा रहा है.

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चंद्रमा की सतह पर खोज करने में मदद करेगी बेबी लूनर क्रूजर

नासा की एक रिपोर्ट अनुसार, प्रेशराइज्ड रोवर बेबी लूनर क्रूजर अंतरिक्ष यात्रियों को रहने और काम करने के लिए एक ऐसी जगह प्रदान करेगी, जिससे वे लंबे समय तक चंद्रमा की सतह पर खोज कर सकें. वहीं, जाक्सा कके अध्यक्ष हिरोशी यामाकावा ने मार्च 2019 में कहा था कि एक प्रेशराइज्ड रोवर वाला केबिन एक ऐसा एलिमेंट हैं, जो चंद्रमा की सतह पर खोज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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