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हौसले का बेकरी स्टॉल

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।।विजय बहादुर।।

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जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए हौसला चाहिए. यही हौसला आपको नयी ऊंचाइयों पर ले जाता है. आप किसी भी बैकग्राउंड से हों. आत्मविश्वास की ताकत से आप अपने सपने साकार कर सकते हैं. महिला समूह की ताकत से सखी मंडल की दीदियों की दुनिया बदलने लगी है. रांची जिला अंतर्गत नगड़ी प्रखंड की सपारोम पंचायत के जाजपुर गांव की महिलाएं कभी हाट-बाजार में सब्जियां बेचती थीं. आज रांची के प्रसिद्ध न्यूक्लियस मॉल में अपना बेकरी स्टॉल लगाकर कारोबार कर रही हैं.

गांव के हाट-बाजार से रांची के मॉल में कारोबार तक का ये सफर इतना आसान भी नहीं है. लेकिन, जाजपुर महिला आजीविका उत्पादक केंद्र की दीदियों ने अपने जज्बे से साबित कर दिया कि मौका मिले, तो वो भी ऊंची उड़ान भर सकती हैं. ये वो महिलाएं हैं, जो मॉल कल्चर से बिल्कुल अनजान थीं. अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए गांव के हाट-बाजार पर निर्भर थीं और वहीं पर अपनी सब्जियां भी बेचा करती थीं. इनकी कमाई भी इतनी नहीं थी कि बड़े मॉल में जा कर खरीदारी कर सकें, लेकिन इन महिलाओं के सपनों की उड़ान ऊंची थी. यही वजह है कि आज इन ग्रामीण महिलाओं का रांची के सर्कुलर रोड स्थित प्रसिद्ध मॉल में अपना बेकरी स्टॉल है.
शांता खलखो, करमी उरांइन, नीलम देवी, सोनल मिंज, रायमुनी किस्पोट्टा, नदिया तिग्गा, सुमति तिर्की, सावित्री कुजूर, रीमा ज्योति केरकेट्टा, पिल्ली उरांव एवं शोभा तिर्की. ये 11 दीदियां सखी मंडल की हैं. इनमें शांता खलखो समेत दो दीदियां स्नातक हैं. शेष मैट्रिक पास हैं. जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी) की ओर से महिला समूह की इन दीदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बेकरी का सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था. इनके उत्साह को देखते हुए जिला प्रशासन ने इनका मनोबल बढ़ाया और इनके लिए स्टॉल की व्यवस्था कर दी. इस तरह इन दीदियों ने गांव से रांची तक का सफर तय किया. झारखंड में इस वक्त दो लाख महिला समूह हैं, लेकिन मॉल तक अपने उत्पाद की पहुंच बनाने में ये दीदियां कामयाब हुई हैं.
जाजपुर महिला आजीविका उत्पादक केंद्र की दीदियों को बेकरी उत्पादों के निर्माण के लिए कच्चा माल खरीदने और मॉल में स्टॉल लगाने के लिए पैसों की जरूरत थी. इसके लिए सभी दीदियों ने समूह से 15-15 हजार रुपये लोन लिए. इसके बाद स्टॉल की शुरुआत हुई. मॉल के तीसरे तल्ले पर द एसएचजी बेकरी का स्टॉल है, जहां दो दीदियां उत्पादों को बेचती हैं. बाकी नौ दीदियां बेकरी उत्पादों के निर्माण कार्य में लगी रहती हैं. केक, कूकीज (अलग-अलग फ्लेवर), चॉकलेट (अलग-अलग फ्लेवर) और लड्डू उपलब्ध है. जिला प्रशासन की पहल पर यह स्टॉल इन्हें नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया है.
ये दीदियां ऐसे बैकग्राउंड से आती हैं, जो भोजन में दाल, चावल, रोटी, सब्जी के अलावा कुछ भी बनाना नहीं जानती थीं. शांता खलखो कहती हैं कि प्रशिक्षण मिलने से पहले इन उत्पादों को खाना तो दूर, इनका नाम तक नहीं जानती थीं, लेकिन आत्मविश्वास की ताकत के बल पर आज वह कारोबार कर रही हैं. उनके उत्पाद लोग पसंद कर रहे हैं. इससे उनका उत्साह बढ़ा है. ग्रामीण महिलाओं की राजधानी के बड़े मॉल में धमक महिला सशक्तीकरण की दिशा में मजबूत कदम है.

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