Facebook : www.facebook.com/vijaybahadurofficial
YouTube : www.youtube.com/vijaybahadur
email- vijay@prabhatkhabar.in
फेसबुक से जुड़ें
टि्वटर से जुड़े
यूट्यूब पर आयें
B Positive : व्यक्तिगत हो या कार्यक्षेत्र, जीवन के दोनों पहलू में आपसी संबंधों का बहुत बड़ा प्रभाव रहता है.
केस स्टडी- 1
ज्यादातर परिवारों में बुजुर्गों और परिवार के दूसरी पीढ़ी का सामंजस्य सही तरीके से नहीं हो पाता है, जबकि उनके बीच स्नेह और सम्मान का अभाव भी नहीं होता है. दोनों पीढ़ी के लोगों को लगता है कि मेरी भावना या चीजों को परिवार के दूसरे लोग समझ नहीं पा रहे हैं.
केस स्टडी- 2
संयुक्त परिवार में एक ही पीढ़ी के लोग आपस में एक साथ नहीं रहना चाहते हैं.साथ में रहने की परंपरा धीरे धीरे कमजोर होती जा रही है.
केस स्टडी- 3
प्रोफेशनल जीवन में कुछ लोगों का सामंजस्य कार्यक्षेत्र में बेहतर रहता है. वहीं, कुछ लोग अलग- थलग पड़े रहते हैं.
इस तरह के अनेक केस स्टडीज इंसानी जीवन में हैं और जब हम इसके मूल में जाते हैं , तो पाते हैं कि मतभेद या आपसी दुराव का कारण सिर्फ इंसान के गलत होने या नकारात्मक नजरिए के कारण नहीं है. मतभेद या मनभेद उनलोगों के बीच भी होता है जिनकी भावना अच्छी रहती है.
वस्तुतः अगर हम आपसी समझ बेहतर रखना चाहते हैं, तो व्यवहार और सोच में लचीलापन की जरूरत हर स्तर पर होती है. युवा पीढ़ी के लोगों को समझना पड़ेगा कि बुजुर्गों के बाल सफेद हुए हैं, तो उन्होंने जीवन का तजुर्बा भी हासिल किया है और उनके इस अनुभव का कद्र कर उनसे सीखने की जरूरत है. उसी तरह बुजुर्गों को भी ये समझना होगा कि उन्होंने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा अपनी तरह से जिया है, तो फिर उनके बच्चों को भी थोड़ा जगह देना होगा, ताकि वो भी अपने तरीके से जीवन का निर्धारण कर सकें.
हम बहुत सारे लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि मैं तो स्पष्टवादी हूं. मुझे जो सही लगता है मैं सामने वाले को साफ- साफ कह देता हूं, उसे अच्छा लगे या बुरा. लेकिन, स्पष्टवादी होने और कटु होने में एक लक्ष्मण रेखा है. इसका ख्याल आपसी संबंधों में रखने की जरूरत है.
अमूमन कार्यक्षेत्र में प्रोफेशनल होने का मतलब ये माना जाता है कि सिर्फ काम से मतलब. लेकिन, किसी भी इंसान से अधिकतम काम तभी लिया जा सकता है जब वो व्यक्ति काम करने के लिए प्रेरित हो और इसके लिए आर्थिक पहलू के अतिरिक्त कार्यक्षेत्र का माहौल, वरीय- कनीय लोगों के साथ संबंध भी महत्वपूर्ण कारक है.
हर व्यक्ति और पीढ़ी एक- दूसरे से अलग है और इसका निर्धारण अनुवांशिक और बाह्य कारकों जैसे आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक माहौल के आधार पर होता है. इसलिए एक व्यक्ति के रूप में जरूरी है कि संबंधों में व्यवहार को लेकर थोड़ा लचीलापन रखें और लचीला होने का अर्थ समझौता करना नहीं है.सिर्फ अपनी शर्तों पर जीवन जीने की हट सही नहीं है.
Posted By : Guru Swarup Mishra