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आज में जीयें, कल की सोचें

बेहतरीन वक्त जो आपने गुजारा है उससे आनंदित होकर प्रेरणा लें, सिर्फ भावुकता में नहीं बहें. वर्तमान को बेहतर तरीके से जीने की कोशिश करें और आनेवाला कल कैसे बेहतर हो इसको लेकर चिंतन और योजना बनायें.

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कुछ दिनों पहले एक मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी का इंटरव्यू देख रहा था, जो फिलहाल राजनीति में बेहतर मुकाम पर हैं. उनसे एंकर ने क्रिकेट के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि मैं अब क्रिकेट ज्यादा देखना पसंद नहीं करता हूं. इसलिए बेहतर होगा कि आप मुझसे राजनीति से जुड़े सवाल करें. मैं राजनीति में आज क्या कर रहा हूं और भविष्य में क्या करना चाहता हूं ?

एंकर ने कहा कि आपका स्पोर्ट्स करियर इतना शानदार रहा है. आपने ना सिर्फ शोहरत और पैसे कमाये, बल्कि आपके कारण देश को भी काफी सम्मान मिला है. आश्चर्य है कि आप उस पर बात नहीं करना चाहते हैं. क्रिकेटर ने कहा कि निश्चित तौर पर मुझे अपनी उपलब्धियों पर गर्व है, लेकिन वो मेरा गुजरा हुआ कल था. मैं अपने गुजरे हुए कल को याद कर अपने को भावुक होकर कमजोर नहीं करना चाहता हूं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं अपनी पुरानी तस्वीरें भी नहीं देखता हूं, क्योंकि इन तस्वीरों को देखने से अपना गुजरा कल याद आता है, जो मुझे भावुक और कमजोर करता है. मैं अपने गुजरे हुए कल को अपने वर्तमान के ऊपर हावी नहीं होने देना चाहता हूं.

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अमूमन हममें से अधिकतर लोग अपने इतिहास में ही डूबे रहते हैं या डूबे रहना चाहते हैं, क्योंकि हमारा स्वर्णिम इतिहास हमें आनंदित और गौरवान्वित करता है. निश्चित तौर पर हमने जीवन में जो बेहतर किया है, उस पर गर्व करना चाहिए, लेकिन सिर्फ इतिहास में ही डूबे रहने से हम अपना वर्तमान और भविष्य की प्लानिंग को भी कमजोर कर लेते हैं. अत्यधिक भावुकता हमें मानसिक रूप से कमजोर करती है, जिससे हम बदलाव को पहचान नहीं पाते हैं या इग्नोर करते हैं.

किसी भी व्यक्ति और संस्थान का एक जीवन चक्र ( काल खंड) होता है. मार्केटिंग की भाषा में जिसे प्रोडक्ट लाइफ साइकल कहते हैं. ये विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे- शारीरिक अवस्था, मानसिक अवस्था, कार्यानुभव, तकनीक में बदलाव आदि. लेकिन, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि एक इंसान वक्त के साथ अपने को कितना बदलना चाहता है या संस्थान में कितना बदलाव करना चाहता है.

हर चीज जिसकी शुरुआत हुई है, उसका एक उत्कर्ष है और एक समय के बाद उसमें क्षरण निश्चित है. बदलते वक्त के साथ जो इंसान या संस्थान अपने को बाह्य (एक्सटर्नल) और आंतरिक (इंटरनल) कारणों के साथ सामंजस्य बिठाते हुए अपने को बदलाव के लिए तैयार करेगा, गतिशील रखेगा, उस व्यक्ति या संस्थान का काल खंड ज्यादा लंबा होगा. वहीं, जो यथास्थिति (जड़वत) बने या बनाये रखना चाहता है वो वक्त के साथ खत्म हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि समय के साथ परिवर्तन कर नया लक्ष्य निर्धारित करें. ट्रांजिशन स्मूथ एवं सुनियोजित हो, रातों- रात बदलाव करने से नुकसान हो सकता है.

सिर्फ भावुकता में नहीं बहें

बेहतरीन वक्त जो आपने गुजारा है उससे आनंदित होकर प्रेरणा लें, सिर्फ भावुकता में नहीं बहें. वर्तमान को बेहतर तरीके से जीने की कोशिश करें और आनेवाला कल कैसे बेहतर हो इसको लेकर चिंतन और योजना बनायें.

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