बरेली : यूपी के सांसद-विधायक, और अन्य जनप्रतिनिधियों के सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के फोन न उठाने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी. एमपी-एमएलए काफी समय से अधिकारियों की बेअंदाजी की शिकायत कर रहे थे. लेकिन अब जाकर सांसद- विधायकों की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है. शासन ने सभी जिलों के अफसरों और कर्मचारियों को सांसद- विधायक, अन्य जनप्रतिनिधियों के मोबाइल फोन हर हाल में उठाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही आदेश का अनुपालन न करने पर कार्रवाई की चेतवानी दी गई है.
जनप्रतिनिधियों के मोबाइल नंबर सरकारी ऑफिस, थाने और चौकियों के सूचना पटल पर प्रदर्शित करने के साथ ही अपने मोबाइल में सेव (संरक्षित) करने होंगे. जनप्रतिनिधियों का फोन आने पर तुरंत सम्मान के साथ बात करनी होगी. इसके साथ ही किसी आवश्यक बैठक या कोर्ट में होने पर कॉल न उठाने की स्थिति में मैसेज डालकर बताना होगा. इसके बाद हर कीमत कर कॉलबैक करनी होगी. ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतवानी दी गई है. सएसपी बरेली घुले सुशील चंद्रभान ने सभी थाने और चौकियों को पत्र भेज कर निर्देश दिए है कि संसद सदस्य, राज्य विधान मंडल के सदस्यों के प्रति शिष्टाचार और प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए. इसमें शासन के 6 अक्टूबर 2023 के पत्र का भी हवाला दिया गया है.
एसएससी ने पत्र के माध्यम से कहा है कि माननीय सदस्यों के मोबाइल नंबर को अनिवार्य रूप से अपने मोबाइल में सेव कर लें. फोन आने पर तुरंत कॉल रिसीव करेंगे, कॉल न उठाने की स्थिति में मैसेज के माध्यम से सूचित किया जाएगा. कुछ देर बाद कॉल बैक कर जानकारी दी जाएगी. सभी संसद सदस्य, विधानसभा सदस्यों के मोबाइल नंबर मोबाइल में सेव करने के निर्देश दिए गए हैं. आदेशों में लापरवाही बरतने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. एसएसपी का पत्र सभी थाने और चौकिया में पहुंच गया है. चीफ सेक्रेट्री (मुख्य सचिव) के स्तर से भी प्रोटोकॉल और शिष्टाचार के पालन के निर्देश दिए गए हैं. उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों के फोन को गंभीरता से लिया जाए. इन निर्देशों का पालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव हर हाल में शासन को भेजा जाएगा. इसके बाद ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
करीब एक वर्ष पहले सांसद-विधायकों ने संसदीय कार्य राज्य मंत्री सुरेश खन्ना से शिकायत की थी.इसके बाद संसदीय कार्य विभाग ने नाराजगी जताई थी.संसदीय कार्य विभाग ने निर्देश जारी कर निर्देश में इस बात पर खास तौर पर नाराजगी जताई गई है कि मंडलों और जिलों में जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है.अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं. उनके कार्यालयों में जनप्रतिनिधियों का फोन नंबर नोट करवाने के बाद भी अधिकारी उस पर कॉल बैक नहीं करते. विधानसभा की संसदीय अनुश्रवण समिति ने इस मामले को गंभीरता से लिया था.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली