Bareilly News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की लिखी किताब सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन अवर टाइम्स पर भाजपाइयों के साथ-साथ बरेलवी उलमा ने भी विरोध जताया है. तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव एवं दरगाह आला हजरत से जुड़े मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने कहा कि भारत में इस वक्त शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द की जरूरत है. इस किताब से भारत की गंगा जमुनी तहजीब को ठेस पहुंचेगी और नफरत को बढ़ावा मिलेगा. उन लोगों के लिए आसानी होगी, जो नफरत फैलाना चाहते हैं.
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा कि दुनिया के जितने भी धर्म हैं, वो आतंकवाद की शिक्षा नहीं देते हैं. विशेष तौर पर इस्लाम मजहब आतंकवाद का घोर विरोधी है. पैगम्बरे इस्लाम ने हमेशा आपसी भाईचारा और एक-दूसरे से मोहब्बत करना सिखाया है. उनके दरबार में गैर-मुस्लिम भी बड़ी संख्या में आते थे. उन्होंने कहा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री की किताब में इस्लाम धर्म को जिहादी नजरिये के साथ पेश किया गया है, जो कि इस्लामी शिक्षा के अनुसार बिल्कुल गलत है.
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मौलाना ने कहा कि इस्लाम ने लड़ाई-झगड़ा और जंग, एक-दूसरे की मारकाट को सख्त तरीके से रोका है, जबकि इस किताब में ‘जिहादी इस्लाम’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके लेखक ने ये बताने की कोशिश की है कि कि इस्लाम धर्म आतंकवाद को बढ़ावा देता है, जबकि ये बात हकीकत के ख़िलाफ है.
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मौलाना शहाबुदद्दीन रिजवी ने किताब में ‘हिंदुत्व’ को आतंकवादी संगठन आईएसआई से जोड़ने पर भी नाराजगी जताई और कहा कि इस तरह की तहरीरों से भारत में नफरत का प्रचार करने वालों को एक हथियार किताब के तौर पर मिल जायेगा. फिर ऐसी ताकतों को पूरे देश में जगह-जगह हिंदू- मुसलमान के दरमियान आपसी भाईचारा तोड़ने का मौका मिलेगा.
मौलाना ने कहा कि आईएसआई संगठन और लश्कर-ए-तैयबा आदि आतंकवादी संगठनों में इस्लाम का नाम लेने वाले लोग हैं, जो इस्लामी शिक्षा के खिलाफ काम कर रहे हैं. इन्हीं जैसे लोगों की वजह से पूरी दुनिया में इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचा है. इसलिए किसी को भी इस बात की इजाज़त नहीं दी जा सकती है कि वो आतंकवादी गतिविधियों को इस्लाम के साथ जोड़े. बिल्कुल वैसे ही एलटीटी और नक्सलाईट आदि संगठनों के लोग हिंदू मजहब के मानने वाले हैं. इन संगठनों में शामिल लोगों को हिन्दू मजहब का प्रतीक या नुमाइंदा नहीं कहा जा सकता है. इन संगठनों को हिंदू मजहब के साथ जोड़कर देखना भी गलत है.
मौलाना ने कहा कि आईएसआई संगठन और लश्कर-ए-तैयबा आदि आतंकवादी संगठनों में इस्लाम का नाम लेने वाले लोग हैं, जो इस्लामी शिक्षा के खिलाफ काम कर रहे हैं. इन्हीं जैसे लोगों की वजह से पूरी दुनिया में इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचा है. इसलिए किसी को भी इस बात की इजाज़त नहीं दी जा सकती है कि वो आतंकवादी गतिविधियों को इस्लाम के साथ जोड़े. बिल्कुल वैसे ही एलटीटी और नक्सलाईट आदि संगठनों के लोग हिंदू मजहब के मानने वाले हैं. इन संगठनों में शामिल लोगों को हिन्दू मजहब का प्रतीक या नुमाइंदा नहीं कहा जा सकता है. इन संगठनों को हिंदू मजहब के साथ जोड़कर देखना भी गलत है.
मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने तमाम बुद्धिजीवियों और लेखकों को सलाह देते हुए कहा, अपनी किताबों और आर्टिकलों में आतंकवाद को किसी भी धर्म विशेष से न जोड़े. आज पूरे देश में इस बात कि जरूरत है कि टूटे हुए दिलों को जोड़ा जाये. नफरत की राजनीति करने वालों के हौसले को पस्त किया जाये.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद