Bareilly News: मौसम में बदलाव के बाद मैदानी क्षेत्र में बारिश रुक गई है और उमस भरी गर्मी का सितम एक बार फिर शुरू हो गया है. लेकिन, पहाड़ी इलाकों में अभी भी मानसून सक्रिय है. इस वजह से भारी बारिश के बीच नदियों के तेवर बरकरार हैं.
उत्तराखंड में स्थित रामगंगा, कालागढ़ समेत कई डैम पानी से लबालब हो गए हैं. इसलिए कालागढ़ डैम से पानी छोड़ा गया है. ऐसे में अन्य इलाकों में बाढ़ का संकट बढ़ गया है. बरेली से गुजरने वाली रामगंगा नदी के जलस्तर में इजाफा दर्ज किया गया है.
रामगंगा नदी ने फसलों को चपेट में लेना शुरू कर दिया है. हजारों बीघा धान की फसल जलमग्न हो चुकी है. इसके साथ ही कई गांव भी इसकी चपेट में आ गए हैं. रामगंगा नदी ने जलस्तर बढ़ने के बाद कटान शुरू कर दिया है. इससे बरेली के तीर्थनगर समेत कई गांव प्रभावित हुए हैं. यहां रहने वाले लोग संकट में हैं.
उत्तराखंड में बारिश के चलते कालागढ़ डैम पानी से भर गया है. इसलिए अभी पाच हजार क्यूसेक पानी और छोड़ा गया है. इससे रामगंगा का जलस्तर बढ़ गया है. रामगंगा नदी ने फसलों को चपेट में लेना शुरू कर दिया है.
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कालागढ़ से पानी छूटने के बाद रामगंगा नदी पानी से उफना गई है. फसलें जलमग्न हो गई हैं. किसानों के खेतों पर जाने वाले मार्ग बंद हो गए हैं, तो वहीं पानी भर गया है. इस कारण किसानों के सामने पशुओं के चारे की दिक्कत होने लगी है. किसान अपनी जान खतरे में डालकर बाढ़ के पानी के बीच से पशुओं के लिए चारा जा रहे हैं.
उत्तराखंड के कालागढ़ डैम से पानी छोड़े जाने के बाद रामगंगा, बहगुल आदि नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. इस वजह से कई गांव पानी की चपेट में आने लगे हैं. मीरगंज के तीर्थनगर गांव का प्राइमरी स्कूल, गुरुदारा और तमाम घर रामगंगा नदी में समा चुके हैं. रामगंगा के बढ़ते जलस्तर से गांव के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है. यहां के लोगों ने जिंदगी बचाने के लिए घरों को छोड़ना शुरू कर दिया है. गांव के काफी घर रामगंगा में समा चुके हैं, तो वहीं कुछ और घर नदी में जाने की तैयारी में हैं. इसके साथ ही रामगंगा नदी में पानी बढ़ने से 330 गांव की फसलें जलमग्न होने लगीं हैं.
उत्तराखंड के कालागढ़ डैम की भंडारण क्षमता 555 मीटर है. यहां 555 मीटर हो चुका है. इसके बाद ही पांच-पांच हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. डैम के अधीक्षण अभियंता के मुताबिक कुमाऊं और गढ़वाल में भारी बारिश के चलते रामगंगा डैम का जलस्तर बढ़ गया. यहां भंडारण 530 मीटर जल रखा जाएगा. इसलिए बीच में पानी छोड़ा जाएगा. इससे पहले यहां से 2013 और 2021 में भी पानी छोड़ा गया था. डैम का पानी छोड़े जाने से बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, रामपुर, बिजनौर, फर्रुखाबाद आदि जनपदों से गुजरने वाली रामगंगा नदी के जलस्तर में भी इजाफा होगा.
उत्तर प्रदेश के बरेली मंडल के शाहजहांपुर जनपद में गंगा में जलस्तर काफी बढ़ गया है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से खादर में बसे गांवों में बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां बढ़ती जा रहीं हैं. जलमग्न घरों में कैद बाढ़ पीड़ित शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं. सबसे बड़ी समस्या जलमग्न गांवों में शौच से निवृत होने की है. महिलाओं और बच्चों को इसके लिए काफी परेशानी हो रही है.
गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण जलालाबाद-ढाईघाट, शमशाबाद, सौरिख, विधूना स्टेट हाइवे सहित क्षेत्र के सभी संपर्क मार्ग जलमग्न हैं. पानी के तेज बहाव में हाइवे पर आवागमन बंद है. हाइवे जगह-जगह पानी के तेज बहाव से कट गया है. इससे ढाईगांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर आगे ग्राम बल्देवपुर मोड़ से ढाईघाट में गंगा के पक्के पुल तक ग्रामीण नहीं पहुंच पा रहे हैं. हाइवे पर आवागमन बंद हो गया है.
गंगा में पानी बढ़ने के कारण लोगों के घरों में पानी घुस गया है. इसलिए लोगों को आश्रय स्थल और ढाईघाट हाइवे के किनारे बाढ़ पीड़ितों को रखा गया है. यहां समाजसेवी और राजस्व निरीक्षक सुखवीर सिंह लेखपालों के साथ सुबह-शाम लंच पैकेट वितरण कर रहे हैं. लेकिन, गांवों में घिरे बाढ़ पीड़ितों को सरकारी और समाजसेवी भी मदद नहीं पहुंचा पा रहे हैं.
पानी से घिरे ग्राम पंचायत पैलानी उत्तर मजरा आजाद नगर, इस्लामनगर, मस्जिद नगला, कटैला नगला, लोहार नगला, मोती नगला, बटन नगला, अभिचारपुर, बांसखेड़ा, पैलानी उत्तर, ग्राम पंचायत भरतपुर के ग्राम पंखिया नगला, पकड़िया नगला, धोबियन नगला, भरतपुर, गुटेटी उत्तर ग्राम पंचायत के ग्राम धीयरपुरा, मोहकमपुर, महोलिया, गुटेटी उत्तर, ग्राम पंचायत पृथ्वीपुर ढाई के मजरा अंटा, डड़िया, याकूतपुर, बल्देवपुर, बख्तावरगंज, पिहुआ आदि चौबीस गांवों में पेयजल के लिए लगे हैंडपंप बाढ़ के पानी में डूबे हैं. इससे पीड़ितों को बाढ़ के पानी में डूबे हैंडपंपों के पानी से ही प्यास बुझाना मजबूरी हो गई है. सरकारी मदद गांवों तक नहीं पहुंच पा रही है.
गंगा का पानी गांवों में घुस गया है. इसलिए बिजली सप्लाई बंद है. ग्रामीण सोलर प्लेट से मोबाइल चार्ज कर जलमग्न घरों में रोशनी कर रहे हैं, जिनके पास सोलर प्लेट की सुविधा नहीं है, वे अंधेरे में रात काट रहे हैं. प्रशासन ने कुछ ही बाढ़ पीड़ितों को एक एक पैकेट मोमबत्ती राशन किट के साथ उपलब्ध कराई गईं. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि एक पैकेट मोमबत्ती दो दिन में ही खत्म हो गई. अब उन्हें अंधेरे में ही रहना पड़ रहा है. केरोसिन का भी वितरण नहीं कराया जा रहा है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली