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बेगूसराय में सड़कों की धूल दबाने तक बरस कर रह जाता है बादल, सुखाड़ की स्थिति से किसान हो रहे परेशान

वर्षा बहुत ही कम होने से किसान काफी परेशान है. फसलों की रोपनी और सिचाई में जिला पिछड़ता जा रहा है. जैसे ही बादल उमड़ घुमड़ करती है. किसान के चेहरे खिल उठते हैं, परंतु यह खुशी बहुत ही क्षणिक रह जाती है. जब बारिश टिपटिपा कर रह जाती है.

बेगूसराय. वर्षा के अभाव में जिले में बिल्कुल सुखाड़ की स्थिति बनती जा रही है. वर्षा बहुत ही कम होने से किसान काफी परेशान है. फसलों की रोपनी और सिचाई में जिला पिछड़ता जा रहा है. जैसे ही बादल उमड़ घुमड़ करती है. किसान के चेहरे खिल उठते हैं, परंतु यह खुशी बहुत ही क्षणिक रह जाती है. जब बारिश टिपटिपा कर रह जाती है. दो दिनों से बादल काफी उमड़-घामड़ किया, किंतु सड़कों की धूल ही दबाने तक बरस कर रह गयी. बेगूसराय जिले की जो भौगोलिक स्थिति है. उस स्थिति के कारण किसानों को दो-तीन वर्षों से लगातार सूखा और बाढ दोनों झेलना पड़ रहा है.

बारिश काफी कम होने से खरीफ फसल की खेती प्रभावित

जिले के दक्षिणी भाग जो गंगा का तटीय इलाका है हर वर्ष किसानों को बाढ का सामना करना पड़ जाता है. बहुत सा फसल बरबाद हो जाती है. वहीं उत्तरी, पश्चमी और पूर्वी भाग कम बारिश होने अथवा समय पर बारिश नहीं होने के कारण सूखा के चपेट में आ जाती है. इस वर्ष भी जिला में दोनों स्थिति बनती दिखने लगी है. एक ओर जहां जिले में मॉनसून एक माह लेट से आयी है. साथ ही बारिश काफी कम होने से खरीफ फसल की खेती करने में किसान के समक्ष काफी परेशानी उत्पन्न हो गयी है.

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धान व मक्का सहित विभिन्न फसलों के उत्पादन पर मौसम का असर

जिले के किसान सिंचाई के लिये लगभग निजी पंपसेट पर ही निर्भर है. डीजल की आसमान छूती महंगाई के कारण फसलों पर लागत काफी बढ रही है. सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई करने में परेशानी नहीं उठाना पड़े इसके लिए डीजल अनुदान दी जा रही है. डीजल अनुदान के लिये खुले पोर्टल पर किसानों को आवेदन करने की घोषणा की गयी है. जिले में खरीफ की खेती का लक्ष्य लगभग एक लाख हेक्टेयर रखी गयी है. धान व मक्का सहित विभिन्न फसलों के उत्पादन पर मौसम का कम असर हो इसके लिए किसान काफी मशक्कत कर रहें. पंपसेट से सिंचाई करना काफी महंगा साबित हो रहा है.

प्रति लीटर 75 रुपये का डीजल अनुदान

इध्रर, कार द्वारा किसानों को डीजल अनुदान दी जा रही है.शनिवार से डीजल अनुदान के लिए पोर्टल तो खुल गयी है. किसान उक्त पोर्टल पर अपनी खेती संबंधी जानकारी देकर डीजल अनुदान प्राप्त कर सकते हैं. सरकार द्वारा प्रति लीटर 75 रुपये का अनुदान मिल रहा है. किसानों को प्रति एकड़ 10 लीटर डीजल की कीमत अनुदान स्वरुप मिलेगा. एक किसान को अधिकतम आठ एकड़ तक ही खेती के अनुपात में डीजल अनुदान मिल सकता है. किसान पेट्रोल पंप की कंप्यूटरीकृत बिल अथवा जहां ऐसा बिल उपलब्ध नही है. सादे कागज पर खेत के अनुपात में बिल बनाकर किसान अपना हस्ताक्षर अगूंठे का निशान लगाकर कृषि पदाधिकारी से हस्ताक्षर करवाकर पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं.

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डीजल अनुदान के लिए डेढ दर्जन किसान ही दिये आवेदन

अभी तक डीजल अनुदान के लिए पोर्टल पर लगभग डेढ दर्जन किसान ही आवेदन किया है. डीजल अनुदान के लिये खुले पोर्टल को लेकर जानकारी के अभाव में किसान जागरुक नही हो पा रहें हैं.बहुत ही कम किसानों को जानकारी इसकी प्राप्त हो पायी है. इस वजह से डीजल अनुदान के लिए सभी फसलों की औसतन 72 प्रतिशत ही हो पायी है रोपनी वर्षा बहुत कम होने के कारण जुलाई माह बीतने की स्थिति पर भी कुल फसलों का मात्र 72 प्रतिशत ही अच्छादन संभव हो पाया है. जिले में मक्के और सोयाबीन की सर्वाधिक खेती होती है. मक्का का लक्ष्य 54912 हेक्टेयर रखी गयी है. जिनमें 47764 हेक्टेयर में अच्छादन हो सका है. वहीं सोयाबीन का लक्ष्य 15772 हेक्टेयर का है, परंतु अच्छादन मात्र 49 प्रतिशत 7830 हेक्टयर खेतों में बोआई हो पायी है.

धान रोपनी लक्ष्य का मात्र 38 प्रतिशत

धान की फसल जिले में बहुत ही कम मात्रा में होती है. इस वर्ष धान का लक्ष्य 10631 हेक्टयर का रखा गया है. विभागीय दावा के अनुसार बिचड़ा सौ प्रतिशत तो हो गयी है, परंतु धान की रोपनी में किसानों को काफी परेशानी हो रही है. लक्ष्य का मात्र 38 प्रतिशत 4095 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी संभव हो पाया है.वर्षा नही पाने के कारण एक ओर जहां किसानों पर लागत काफी बढ गयी है. वहीं फसल और उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी डॉ राजेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि जिले के सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी से लेकर कृषि समन्वयक, सलाहकार आदि को किसानों के लिये डीजल अनुदान के लिए खुले पोर्टल के बारे में प्रचार-प्रसार करने का निर्देश जारी कर दिया गया है. जिससे कि शीघ्र ही अधिक से अधिक किसान डीजल अनुदान का लाभ उठा सके.

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