संजीव,भागलपुर: हाल ही में बरारी पुल घाट पर स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट से हो रहे निर्माण कार्य पर वन विभाग ने इसलिए रोक लगा दी थी कि निर्माण कराने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं लिया गया था. इस बात को बीते एक माह भी नहीं हुआ और माणिक सरकार घाट पर नदी के ठीक किनारे पर कंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़ों व मलबों को गिराये जाने लगे.
स्थानीय कुछ लोगों का कहना था कि शहर में बुडको द्वारा एजेंसी से कराये जा रहे जलापूर्ति काम को लेकर काटी जा रही सड़कों के मलबे ट्रेलर से गिराये जा रहे हैं. सारे मलबे माणिक सरकार घाट को पार कर दियारा की तरफ से नदी किनारे फेंके जा रहे हैं. इसका सीधा असर नदी की धारा पर पड़ेगा और प्रवाह प्रभावित होगी.
भागलपुर शहर के किनारे से आम दिनों में जमुनिया नदी बहती रहती है. यह नदी गंगा के समानांतर बहती है. कूड़े-कचरे और नालों के पानी से पहले से इस नदी की धारा सिकुड़ चुकी है. बावजूद इसके इसे बचाने की जगह इसे मार देने का कृत्य किया जा रहा है.
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पूर्व के वर्षों में चंपानाला पुल के समीप, मुसहरी घाट के पास सहित विभिन्न जगहों पर नदी के किनारे नगर निगम प्रशासन द्वारा लगातार शहर से उठाये गये कूड़े गिराये जाते थे. डीएम और कमिश्नर के लगातार निर्देश और कड़े एक्शन के बाद इस पर स्थायी तौर पर रोक लगायी गयी थी और फिर यह रुका भी.
नदियों में प्रतिमाओं का विसर्जन भागलपुर में पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम प्रशासन द्वारा बरारी पुल घाट, मुसहरी घाट व बूढ़ानाथ घाट पर कृत्रिम तालाब का निर्माण करा दिया गया है. ऐसे में नदी के किनारे कंक्रीट के मलबों को कैसे गिराया जा रहा है, यह सवाल उठने लगा है.
Posted By: Thakur Shaktilochan