कोरोना की दूसरी लहर के आगोश में बिहार घिर चुका है. अस्पतालों में बेड नहीं है तो श्मशान घाट पर भी लंबा इंतजार चल रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण आम लोग से लेकर वीआईपी तक लाचार है. 100 से ज्यादा बड़े अधिकारी कोरोना की चपेट में हैं तो वहीं कई की मौत हो चुकी है. बीते रविवार को सर्वाधिक 8690 नये मरीज मिले, जबकि 27 की मौत हो गयी. इसके साथ ही एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 44700 हो गयी. सोमवार सुबह पूर्व शिक्षा मंत्री मेवा लाल चौधरी की मौत हो गयी.
ना केवल पटना बल्कि गया सहित अन्य दूसरे शहरों में भी कोरोना महामारी ने विकराल रूप अख्तियार कर लिया है. सरकार का दावा है कि संक्रमितों के लिए अस्पतालों में पर्याप्त बेड हैं और कहीं कोई समस्या नहीं है. इस दावे के इतर सरकारी अस्पताल पूरी तरह से फुल हैं. नए मरीजों के लिए कहीं कोई व्यवस्था नहीं हैं. प्राइवेट अस्पताल ऑक्सीजन नहीं होने के कारण मरीजों को वापस कर रहे हैं. बिहार में कोरोना के तांडव को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवाऱ शाम नाइट कर्फ्यू सहित कई अन्य बड़े फैसले लिए हैं.
पटना के बांस घाट पर कोरोना संक्रमितों के शव के अंतिम संस्कार में छह घंटे का समय लग रहा है. कोई सुबह दस बजे तो कोई अहले सुबह से ही शव को लाइन में लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. विद्युत शवदाह गृह के अंदर दर्जनों शव लाइन में पड़े हैं. बाहर परिजन अंदर उनके अपनों का शव. लोग बार-बार उठ कर देख रहे हैं कि कोई शव को आगे-पीछे तो नहीं कर रहा है न.
इधर, एक तरफ सरकार व स्वास्थ्य विभाग की टीम सुरक्षा को लेकर कई सारे कदम उठा रही है. वहीं, बांस घाट के बाहर सड़कों पर पीपीइ कीट, मास्क समेत अन्य संक्रमित वस्तु फेंका हुआ है. इस बात की जानकारी जब वहां मौजूद नगर निगम के अधिकारियों को मिली तो वे बाहर निकल सफाईकर्मियों को फटकार लगायी. इसके बाद तुरंत साफ-सफाई शुरू हुई.
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पटना के कई निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. मगर इन अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी के कारण बेड खाली रहते हुये भी मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे हैं. प्राइवेट अस्पताल संचालकों का कहना है कि ऑक्सीजन का जितनी डिमांड है, उसका 10% भी सप्लाइ नहीं हो रहा है.
ऐसे में जिन मरीजों को ऑक्सीजन की कम मात्रा में आवश्यकता है, केवल उन्हें ही भर्ती किया जा रहा है. इसके साथ ही ऐसे कई अस्ताल हैं, जो चार-चार दिनों से ऑक्सीजन सिलिंडर मिलने का इंतजार कर रहे हैं. कई अस्पताल ऐसे भी हैं, जहां पहले से भर्ती कोरोना मरीजों के परिजनों को ऑक्सीजन खत्म होने के बारे में बताते हुये उन्हें दूसरे अस्पतालों में जाने के लिये कहा जा रहा है.
पटना जिले में कोरोना संक्रमण बढ़ने से अस्पतालों में बेड लगातार कम होते जा रहे हैं. सभी बड़े अस्पताल चाहे वह सरकारी हो या निजी उसमें बेड खाली नहीं मिल रहे हैं. शनिवार को जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के मुताबिक जिले के 33 प्राइवेट अस्पताल जो अभी कोविड मरीजों का इलाज कर रहे हैं, उनमें कुल बेड की संख्या 985 है.
इसमें 377 आइसीयू बेड है. इनमें से 860 बेड पर मरीज हैं, जबकि 125 बेड अभी खाली है. जिले के सरकारी अस्पतालों में 543 बेड हैं. इसमें 88 बेड आइसीयू के हैं, जिसमें से शनिवार शाम तक 457 पर मरीज थे और 86 बेड खाली थे. जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर कुल 211 बेड खाली हैं.
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Posted By: Utpal kant