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बिहार निकाय चुनाव पर रोक: सुप्रीम कोर्ट का ‘ट्रिपल टेस्ट’ आदेश क्या है? आरक्षण विवाद को जानें

Bihar Nikay Chunav 2022: बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी गयी है. बिहार सरकार के द्वारा सीटों को आरक्षित किये जाने को पटना हाइकोर्ट ने गलत करार दिया है और इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताया है. जानिये क्या है सुप्रीम कोर्ट का थ्री लेयर टेस्ट आदेश...

Bihar Nagar Nikay Chunav Update: बिहार निकाय चुनाव 2022 पर रोक लगा दी गयी है. पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण विवाद को लेकर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया जिसके बाद मतदान से चंद दिनों पहले ही निकाय चुनाव पर ग्रहण लग गया. उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के सुझाव के बाद निर्वाचन आयोग के द्वारा निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर लिये गये फैसले पर आपत्ति जताई है और इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करार दिया. जानिये क्या है सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ट्रिपल टेस्ट का दिया निर्देश…

बिहार निकाय चुनाव पर रोक

बिहार निकाय चुनाव 2022 के कार्यक्रम तय कर दिये गये और मतदान की तिथियों का भी एलान कर दिया गया था. आगामी 10 और 20 अक्टूबर को वोट डाले जाने थे. इससे पहले जब आरक्षण मामले को लेकर सरकार का फैसला सामने आया था तो कई प्रत्याशियों को निराशा हाथ लगी थी. कई सीटें आरक्षित/ अतिपिछड़ा श्रेणी में चले जाने के बाद अनेकों प्रत्याशी रेस से बाहर हो गये थे. लेकिन अब पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के इस फैसले को गलत करार दिया है और सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की अवहेलना करार दिया है. जिसके बाद चुनाव पर रोक लगा दी गयी है.

बिहार निकाय चुनाव में रोक की वजह

पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनाये फैसले में कहा कि बिहार निकाय चुनाव में सीटों को जिस तरह आरक्षित किया गया वो सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन है जिसमें निकाय चुनाव में राज्यों को आरक्षण पर फैसला लेने से पहले ट्रिपल टेस्ट यानी थ्री लेयर टेस्ट कराना अनिवार्य है.

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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

बता दें कि इसी साल मई महीने में मध्य प्रदेश सरकार के एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसले को दोहराया था और साफ कर दिया था कि कोई भी राज्य सरकार बिना ट्रिपल टेस्ट कराये हुए ओबीसी वर्ग को स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं दे.

थ्री लेयर टेस्ट यानी ट्रिपल टेस्ट क्या है?

बता दें कि वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन जांच अर्हताएं निर्धारित की गयी थी. थ्री लेयर टेस्ट के लिए राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के रुप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाना अनिवार्य है. उसके बाद इस आयोग की सिफारिश के मुताबिक ही आरक्षण का अनुपात तय हो सकेगा.

ट्रिपल टेस्ट नहीं होने पर सीट रहेंगी सामान्य

पिछड़े वर्ग के लोगों की सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक स्थिति जानने के बाद ही इसपर कुछ तय किया जाएगा. अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. जब तक तीन स्तरीय जांच पूरी नहीं होगी, इन सीटों को सामान्य कैटेगरी में मानकर ही चुनाव कराये जाएंगे.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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