बिहार के जहानाबाद में ऐतिहासिक प्राकृतिक छटाओं से परिपूर्ण मखदुमपुर प्रखंड का वाणावर पहाड़ स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर में अमेरिका एवं फ्रांस से पहुंचे पर्यटकों ने पूजा- अर्चना की एवं मंदिर में प्रार्थना कर माथा टेका.
महाबोधी मंदिर बोधगया देखने पहुंचे फ्रांस एवं अमेरिका विदेशी पर्यटकों ने वाणावर स्थित पातालगंगा में भी दर्शन किए. यहां सम्राट अशोक एवं उनके पौत्र राजा दशरथ द्वारा बनवाये गये कर्ण चौपड़ गुफा, सुदामा गुफा, लोमश ऋषि गुफा का अवलोकन किया.
इस दौरान पर्यटकों ने गुफाओं के अंदर साधना किया. साथ ही पहाड़ के रास्ते चोटी पर विराजमान बाबा सिद्धनाथ मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना किया. मौके पर मंदिर के पुजारी ने पहुंचे पर्यटकों को विधिवत पूजा- अर्चना कराया.
इस दौरान पर्यटकों ने आधे घंटे तक मंदिर में मंत्र जाप करते दिखे. बताते चलें कि ठंड का मौसम शुरू होते ही वाणावर पहाड़ी इलाके में विदेशी पर्यटकों का आगमन शुरू हो गया है.
मालूम हो कि जिले के वाणावर पहाड़ पर स्थित सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर को सिद्धनाथ तीर्थ के रूप में जाना जाता है. इसे मगध का बाबाधाम भी कहा जाता है. मंदिर महाभारत कालीन जीवंत कृतियों में से एक है.
पहाड़ी इलाका में नियमित पर्यटक पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में अमेरिका और फ्रांस से भी पर्यटक यहां पहुंचे.
पहाड़ के शिखर पर अवस्थित बाबा सिद्धेश्वरनाथ को नौ स्वयंभू नाथों में प्रथम कहा जाता है. इनकी पूजन कथा शिवभक्त वाणासुर से संबंधित होने के कारण इसे ‘वाणेश्वर महादेव भी कहा जाता है.
धार्मिक ग्रन्थ शिव पुराण के अनुसार सोनपुर (सोनितपुर) मगध के महान शासक बाणासुर मंदिर में पूजा अर्चना करता था ,जिसे भोलेनाथ से आशीर्वाद प्राप्त हुआ था ,जिससे उसका पराक्रम दिन प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा था , मंदिर तक जाने के लिए राज्य सरकार ने पताल गंगा इलाके से सीढ़ियां बनाई है.
वहीं, गऊघाट हथियाबोर और बावन सीढ़िया इलाके से भी मंदिर जाया जाता है. राज्य सरकार ने मंदिर तक जाने के लिये रोपवे निर्माण की स्वीकृति कई वर्ष पूर्व में ही दिया था.