पटना. जून में अब सात दिन ही शादी-विवाह के मुहूर्त शेष हैं. जून के अंतिम सप्ताह में देवशयनी एकादशी होने से पांच महीनों के लिए शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर रोक लग जायेगी. देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास भी लग जायेगा. ज्योतिषाचार्य शंभू प्रसाद के अनुसार शादी-विवाह के लिए सात शुभ मुहूर्त हैं. संपत्ति खरीदने और वाहन खरीदने के शुभ मुहूर्त 13 और 17 जून है. इसके बाद 11 जुलाई तथा आठ, 20 व 28 अगस्त और 17, 20 व 29 सितंबर को है. इसके बाद 18, 23 और 27 अक्तूबर को है. मुंडन संस्कार के लिए 8, 14, 21 व 28 जून तथा यज्ञोपवीत (उपनयन संस्कार) 5, 8,14,21, 22 व 28 जून को शुभ मुहूर्त है.
प्रसाद ने बताया कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का प्रारंभ होता है. इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून को है. इस दिन से भगवान विष्णु देवोत्थानी एकादशी तक के लिए योग निद्रा में चले जायेंगे. फिर वे देवउठनी एकादशी को योग निद्रा से बाहर आयेंगे. तब चातुर्मास का समापन होगा. देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को है. इस तरह से चातुर्मास 30 जून से लगेगा और 23 नवंबर को समाप्त हो जायेगा.
आकाशीय मंडल के तीन प्रमुख ग्रह जून माह में अलग-अलग राशियों में गोचर करेंगे. नवसंवत्सर- 2080 के राजा और व्यापारिक ग्रह बुध का सात जून को रात 7.41 बजे मेष राशि से विषम राशि में प्रवेश होगा. 15 जून को संध्या 6.30 बजे बृष-राशि से मिथुन राशि में प्रवेश होगा. वहीं 17 जून को को रात 10.55 बजे स्वगृही शनि कुंभ राशि में वक्री होंगे. 24 जून को मध्याह्न 12:36 बजे वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश होगा. ज्योतिषाचार्य शंभू प्रसाद ने बताया कि इन ग्रहों के राशि बदलाव से आने वाले दिनों में विभिन्न राशि के जातकों को कई परिणाम मिलेंगे. शनिदेव के वक्री होने से सीजन में उतार-चढ़ाव होगा. धातु पदार्थों में कमी के साथ तेजी का दौर रहेगा.
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मेष- आर्थिक परियोजनाओं में विशेष लाभ, लेकिन बुद्धि वाणी पर नियंत्रण रखें.
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वृषभ- मनोबल ऊंचा होने के साथ ही कारोबार से लाभ, लेकिन यात्रा से कष्ट संभव है.
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मिथुन- प्रारंभ में उद्योग -धंधों में परेशानी, निकटवर्ती से हानि.
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कर्क- व्यापार में धन-लाभ, भूमि, वाहन आदि का सुख भी प्राप्त होगा.
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सिंह- उच्चाधिकारियों से सहयोग, परंतु लाभ से ज्यादा व्यय होगा.
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कन्या- भाग्योन्नति व धन-लाभ, लेकिन माता-पिता को कष्ट.
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तुला- यात्रा संभव है. धार्मिक कार्यों में रूचि, धन-धान्य का आगमन.
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वृश्चिक- दाम्पत्य सुख की प्राप्ति, धर्मकर्म में रुचि, नये, पद अधिकार की प्राप्ति.
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धनु- गुप्त शत्रु से सावधान रहने पर लाभ की स्थिति, पिता के आज्ञा का अनुसरण करें.
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मकर – बुद्धि की चतुरता से कार्य पूरे होंगे.
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कुंभ- कार्य की अधिकता से मन के असंतोष, संगे- संबंधियों से अनबन संभव है.
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मीन- धार्मिक कार्यों में धन खर्च की अधिकता, परिवारजन का सहयोग.