Bihar News: बिहार के DGP एस के सिंघल को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम से फोन आता रहा. फोन करने वाले ने कई दफे डीजीपी से बात की. हर बार एक ही मुद्दे पर बात की गयी और वो मुद्दा था एक आइपीएस अधिकारी से जुड़ा. जिसकी पैरवी के लिए डीजीपी पर दबाव बनाया जाता था. लेकिन जब डीजीपी को मामला गड़बड़ लगा तो उन्होंने इसकी जांच का जिम्मा ईओयू को दे दिया और उसके बाद आइपीएस आदित्य कुमार की पोल खुल गयी.
जांच में पता चला कि आइपीएस आदित्य कुमार ने अपने एक दोस्त को फर्जी चीफ जस्टिस बनाकर ये सब करवाया है. अभिषेक ने जब सच उगलना शुरू किया तो कई राज बाहर आए. उसने बताया कि आइपीएस अधिकारी आदित्य कुमार की योजना केवल अपना केस खत्म कराने तक नहीं थी. बल्कि वह अन्य जिले में में एसएसपी के पद पर पोस्टिंग भी चाह रहे थे.
इओयू की पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि उसकी मुलाकात आइपीएस अधिकारी से कहां-कहां होती थी. डीजीपी पर रौब दिखाने अभिषेक ने व्हाट्सएपप पर चीफ जस्टिस का फोटो तक डीपी में लगाया था. उसने बताया कि अगर वो नाराजगी दिखाता था तो डीजीपी उसे व्हाट्सएप के जरिये समय लेकर कॉल भी करते थे.
डीजीपी सिंघल को एक फोन लगातार आने लगा. दरअसल वो फोन एक जालसाज का था जो खुद को हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बताता था और गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार को क्लीन चीट देने का दबाव बनाता था. आदित्य कुमार शराबबंदी उल्लंघन मामले में फंसे हैं और वर्तमान में उन्हें पुलिस मुख्यालय में तैनात किया गया है जहां वो एआइजी(आइ) के पद पर तैनात हैं. जब डीजीपी को कुछ शक हुआ तो उन्होंने मामला इओयू को सौंपा और इओयू ने 24 घंटे के अंदर मामले का खुलासा कर दिया.
फर्जी जज बनकर फोन करने वाला अभिषेक अग्रवाल गिरफ्तार कर लिया गया और उसने तमाम हकीकत उगल दिये. जिसके बाद आइपीएस की पोल खुल गयी. अभिषेक का दावा है कि डीजीपी भी उसके प्रभाव में आ गये थे. पुलिस ने फर्जी फोन मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं अब अपनी पोल खुलने के बाद आइपीएस आदित्य फरार हैं और उनका फोन भी बंद आ रहा है.
Posted By: Thakur Shaktilochan