सहरसा: भारत-चीन सीमा पर लद्दाख के गलवान में चीनी सैनिकों से हुए हिंसक झड़प में शहीद हुए कुंदन कुमार की चिता की अाग अभी ठीक से बुझी भी नहीं थी कि शहीद के परिजनों के सिर पर एक नयी आफत आ गयी. राजकीय सम्मान से हुए अंतिम संस्कार में लगाये गये टेंट, कुर्सी, जेनरेटर व स्पीकर का किराया शहीद के परिजनों से ही मांगा जा रहा है. शहादत के बाद दरवाजे से लेकर अंत्येष्टि स्थल तक लगे पंडाल व अन्य सामग्रियों का उन्हें कुल 81 हजार रुपये का बिल थमा कर सुबह-शाम तकादा जारी है. शहीद के पिता निमिंद्र यादव ने कहा कि राजकीय सम्मान समारोह से हुए अंतिम सम्मान समारोह के खर्च का वहन वे क्यों और कैसे करें. इधर टेंट संचालक रवि यादव ने बताया कि उन्हें टेंट या जेनरेटर लगाने का ऑर्डर प्रशासन ने नहीं, बल्कि शहीद कुंदन के चाचा और मुखिया पति ने दिया था.
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हमलोग यहां से टेंट वालों को लेकर आरण जा रहे थे, लेकिन पता चला कि वहां मुखिया सारी व्यवस्था करा रहे हैं. एसडीओ साहब ने कहा कि उसी को करने दीजिए, इस का भुगतान कर दिया जायेगा. वह टेंट वाला कल भी आकर वाउचर जमा कर अपना भुगतान ले सकता है.
जमाल खुर्शीद, नजारत उपसमाहर्ता, सहरसा
15 जून को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के गलवान घाटी में सत्तरकटैया प्रखंड के आरण गांव के सैनिक कुंदन कुमार के शहीद होने के बाद डीएम ने नजारत उपसमाहर्ता को आदेश जारी करते हुए शहीद के घर जाकर उनके परिजनों से संपर्क कर अंत्येष्टि स्थल पर वाटरप्रूफ पंडाल की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था, जिसमें पर्याप्त व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था करने की बात कही थी. डीएम ने पंडाल में टेबल, कुर्सी व अन्य आवश्यक सामग्री जैसे पर्याप्त मात्रा में पुष्प, माला व 15 पुष्प चक्र की भी व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. 19 जून को राजकीय सम्मान के साथ हुए अंतिम संस्कार समारोह में सारी व्यवस्था डीएम के निर्देशानुसार हुई, लेकिन टेंट हाउस का बिल जिला नजारत पहुंचने की बजाय शहीद के घर पहुंच गया. शहीद कुंदन के पिता ने कहा कि उन्होंने ऐसी किसी भी व्यवस्था के लिए किसी को ऑर्डर नहीं दिया था, तो वे भुगतान क्यों करें.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya