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तिरहुत दरभंगा कोसी रह गये पीछे, बिहार के इस प्रमंडल से हुई मैथिली भाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जब नयी शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में प्राथमिकी शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में देने का निर्णय लिया तो बिहार के दरभंगा और सहरसा जैसे प्रमंडल पीछे छूट गये और मुंगेर प्रमंडल में मैथिली भाषा की पढ़ाई प्राथमिक स्कूलों में शुरू कर एक अनोखा रिकार्ड अपने नाम कर लिया.

बेगूसराय. आम तौर पर माना जाता है कि मैथिली भाषा दरभंगा और मधुबनी के लोग बोलते हैं, लेकिन इस भाषा की पढ़ाई में हमेशा यह इलाका पीछे रहा है. पटना यूनिवर्सिटी से पहले मैथिली भाषा की पढ़ाई काशी हिंदू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में आरंभ हुई. सरकार की ओर से जारी नई शिक्षा नीति में ही प्राथमिक शिक्षा के लिए मातृ भाषा को माध्यम बनाने की बात कही गई है. केंद्र सरकार की ओर से जारी नई शिक्षा नीति में भी प्राथमिक शिक्षा के लिए मातृ भाषा को माध्यम बनाने पर जोर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जब नयी शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में प्राथमिकी शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में देने का निर्णय लिया तो बिहार के दरभंगा और सहरसा जैसे प्रमंडल पीछे छूट गये और मुंगेर प्रमंडल में मैथिली भाषा की पढ़ाई प्राथमिक स्कूलों में शुरू कर एक अनोखा रिकार्ड अपने नाम कर लिया.

मुंगेर के नाम हुआ अनोखा रिकार्ड

मुंगेर प्रमंडल के बेगूसराय जिले में एक ऐसा भी स्कूल है, जहां बच्चे मैथिली में सभी विषयों की पढ़ाई करते हैं. यह बिहार का पहला स्कूल है जहां हिंदी या अंग्रेजी में नहीं बल्कि क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई होती है. नयी शिक्षा नीति के जरिए बिहार के सरकारी विद्यालयों में बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कराने के नीतिगत फैसले के बाद ऐसा किया गया है. बेगूसराय के अमरोर पंचायत में अवस्थित उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय सुशील नगर ऐसा पहला स्कूल बन गया, जहां बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषा में शिक्षाग्रहण कर रहे हैं. यहां के बच्चे मैथिली में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. विद्यालय की इस पहल की तारीफ़ हो रही है. क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई शुरू करने के कारण इस विद्यालय को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

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छात्रों में मैथिली के प्रति बढ़ी ललक

उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक राम कुमार ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि बच्चों में विद्यापति की कविता गंगा स्तुति से मैथिली भाषा पढ़ने की जिज्ञासा जगी. इसके बाद शिक्षकों से बात कर बच्चों को इस भाषा में पढ़ाना शुरू कर दिया. वहीं मैथिली में पढ़ानेवाली शिक्षिका संजू कुमारी बताती है कि इस विद्यालय में वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 641 बच्चे मैथिली भाषा में पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं छात्रों का कहना भी है कि मैथिली भाषा की पढ़ाई में काफी रोचकता रहती है. अन्य लोगों को भी मैथिली में बातें करनी चाहिए.

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मैथिली भाषा में पढ़ाने में कई बाधा आती है सामने

प्रभारी प्रधानाध्यापक राम कुमार पत्रकारों से बात करते हुए कहते हैं कि सरकार की इस घोषणा को अमली जामा पहनाना आसान प्रतीत नहीं हो रहा है. इसकी राह में न सिर्फ बजट बल्कि अन्य कई तरह की बाधाएं भी हैं. बेगूसराय के इन बच्चों को मैथिली पढ़ाने के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. काफी परेशानी के बावजूद बच्चों को मैथिली पढ़ाने की कोशिश की जा रही है. जुगाड़ से बच्चे अब तक मैथिली सीख रहेंगे, लेकिन उनकी मांग है कि मैथिली शिक्षकों की व्यवस्था होनी चाहिए.

क्या बोले थे नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधान परिषद में दो टूक कहा कि ”मैथिली का विकास -बिहार का विकास” है. मैथिली की पढ़ाई स्कूल में हो, इससे मैं सहमत हूं. इसमें क्या तकनीकी अड़चन है? इस संदर्भ में शिक्षा विभाग अपनी राय देगा. उन्होंने कहा कि केवल मैथिली ही नहीं बल्कि मैं भोजपुरी के विकास के लिए भी प्रतिबद्ध हूं. उसकी भी पढ़ाई होनी चाहिए. शिक्षा मंत्री खुद मिथिला क्षेत्र के हैं. वे जल्दी ही इस मामले में सकारात्मक कदम उठायेंगे. इसके बाद तत्कालीन शिक्षामंत्री विजय चौधरी ने सरकारी स्कूलों में मैथिली भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाने की बात कर खारिज करते हुए कहा था कि राज्य में पहली से आठवीं कक्षा में एक भाषा के रूप में मैथिली पढ़ाने के संबंध में सरकार ने पहले से ही सहमति दी है.

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