13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Prabhat Khabar Special: नौकरियां पाने वालों का गांव है दांतू, JPSC टॉपर सावित्री से क्या है इसका कनेक्शन

Jharkhand News: दांतू गांव को नौकरियां पाने वालों का गांव के रूप में जाना जाता है. सरकारी नौकरी हासिल करना दूसरों के लिए भले बहुत मुश्किल है, पर झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के दांतू गांव के लोग बड़ी आसानी से इसे प्राप्त कर लेते हैं. अब तक इस गांव के 665 लोग नौकरी हासिल कर चुके हैं.

Jharkhand News: हेडिंग पढ़कर आपको कुछ अजीब लग सकता है, लेकिन जेपीएससी टॉपर (JPSC topper) सावित्री कुमारी के गांव दांतू की यही हकीकत है. इसे नौकरियां पाने वालों का गांव के रूप में जाना जाता है. सरकारी नौकरी हासिल करना दूसरों के लिए भले बहुत मुश्किल है, पर झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के दांतू गांव के लोग बड़ी आसानी से इसे प्राप्त कर लेते हैं. यह गांव एनएच-23 पर बसा है. अपनी योग्यता के दम पर अब तक इस गांव के 665 लोग नौकरी हासिल कर चुके हैं. इनमें 212 लोग पेंशनभोगी हैं.

शिक्षकों का गांव

दांतू गांव में गुरुजनों यानी शिक्षकों की भरमार है. अब तक डेढ़ सौ से अधिक लोग शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर चुके हैं. खास बात तो यह है कि 1960 से पहले ही 76 लोगों ने शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर ली थी. उसके बाद के दशकों में भी बड़ी संख्या में दांतू के लोग शिक्षक की नौकरी में बहाल हुए. वर्तमान में 18 लोग शिक्षक की नौकरी में सेवारत हैं. दांतू में मिडिल स्कूल की स्थापना वर्ष 1948 तथा हाई स्कूल की स्थापना 1957-58 में हो चुकी थी. यही कारण है कि यहां शैक्षणिक माहौल प्रारंभ से ही रहा है और इसका लाभ लोगों को सरकारी नौकरियों को हासिल करने में मिला है. इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक बहाल होने के कारण इस गांव को गुरुजनों का गांव के रूप में भी जाना जाता है. यहां के सर्वाधिक 136 लोगों ने केंद्रीय आयुद्ध विभाग में नौकरी हासिल की है. कोल इंडिया में 36, झारखंड सरकार में 26, शिक्षक में 18, रेलवे में 16, बैंक में 6, डॉक्टर में 2, पेशकार में 2 एवं अन्य सरकारी उपक्रमों में 34 लोगों ने नौकरी ली है. इसके अलावा 185 लोग प्राइवेट सेक्टर में नौकरी कर रहे हैं.

Also Read: झारखंड के गांवों की कहानियां : नाम है बालुडीह, लेकिन पलामू के इस गांव में अब ढूंढे नहीं मिलते बालू

रात्रि पाठशाला से निकली नौकरी की राह

वैसे तो इस गांव के लोग प्रारंभ से ही नौकरी लेने में माहिर रहे हैं, पर हाल के तीन दशकों में इस गांव के लोग बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियों में बहाल हुए तो उसकी एक बड़ी वजह रात्रि पाठशाला है. गांव के सामाजसेवी विवेकानंद, पारसनाथ नायक एवं दिलीप ठाकुर बताते हैं कि वर्ष 1991 में गांव वालों ने बच्चों को पढ़ाने के लिए दांतू में रात्रि पाठशाला की शुरुआत की थी और यह नियम बनाया था कि गांव के जो भी लड़के मैट्रिक पास करेंगे, उन्हें रात्रि पाठशाला में अपनी निःशुल्क सेवा प्रदान करनी है. हर वर्ष गांव के सैकड़ों लड़के मैट्रिक पास करते हैं. इस कारण रात्रि पाठशाला में बच्चों को पढ़ाने के लिए काफी संख्या में मैट्रिक पास लड़कों का जुटान होने लगा. उसी दौरान लड़कों ने अपने सामान्य ज्ञान की बढ़ोतरी के लिए ‘ग्रुप डिस्कशन’ की प्रक्रिया शुरू की. धीरे-धीरे ग्रुप डिस्कशन के प्रति लड़कों की दिलचस्पी बढ़ती गई और इसने स्थाई रूप ले लिया. 2007-08 तक यह लगातार चला. रात्रि पाठशाला में बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ गांव के लड़के ग्रुप डिस्कशन में अपने सामान्य ज्ञान को बढ़ाने लगे. माना जाता है कि सरकारी नौकरियों में बहाल होने में लड़कों के लिए ग्रुप डिशक्शन में प्राप्त ज्ञान काफी मददगार साबित हुआ.गांव के काफी लड़कों ने आईटीआई भी किया है और उससे भी नौकरी लेने में मदद मिली.

Also Read: Jharkhand News: झारखंड का देवघर एयरपोर्ट उड़ान भरने को तैयार, कोलकाता से आयी इंडिगो की हुई ट्रायल लैंडिंग

खेती-किसानी में भी पेश की मिसाल

इस गांव ने खेती-किसानी के क्षेत्र में भी मिसाल पेश की है. बताया जाता है कि यहां की जमीन काफी अधिक उपजाऊ है. दूसरी जगहों पर अमूमन एक एकड़ खेत में 30-40 काठ धान की उपज होती है, लेकिन दांतू गांव में एक एकड़ खेत में 70 से 80 काठ धान की पैदावार हो जाती है. बताया जाता है कि हर वर्ष इस गांव में 20-25 हजार क्विंटल धान की उपज होती है. हाल के दशकों में इस गांव ने खेती-किसानी में एक नई पहचान भी बनाई है. वर्ष 2001-02 में दांतू निवासी विवेकानंद ने दुर्लभ प्रजाति की स्पायरोलीना की सफल खेती कर गांव को पहचान दिलाई थी. हाल के समय में इनके पुत्र प्रसेनजीत कुमार (झारखंड राय यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में ग्रेजुएट) ने नोनी और ड्रैगन फ़ूड की खेती कर कमाल किया है. दांतू में इसकी खेती को देखकर एग्रीकल्चर के क्षेत्र में काम करने वाले कई महारथी भी हैरान हैं. नोनी एक फल है. इसका उपयोग अपने देश में आयुर्वेदिक उपचार में हजारों वर्षों से होता आ रहा है. यह फल अमीनो एसिड, विटामिन-सी और पेक्टिन सहित कई पोषक तत्वों से भरा होता है. ट्यूमर और कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और बालों की अच्छी ग्रोथ में भी यह फायदेमंद साबित होता है. इसे हर जगह नहीं उगाया जा सकता. इसे मुख्यतः कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में ही उगाया जाता है क्योंकि नोनी के बीजों को अंकुरित होने के लिए ट्रॉपिकल तापमान की ज़रूरत होती है, लेकिन प्रसेनजीत ने अपने ज्ञान और मेहनत से दांतू जैसी जगह पर इसकी सफल खेती की.

Also Read: Jharkhand News: बोकारो जैविक उद्यान में दिखेगा तितलियों का खूबसूरत संसार, बटरफ्लाई पार्क का मिलेगा तोहफा

राजनीतिक तौर पर जागरूक है यह गांव

दांतू को राजनीतिक तौर पर जागरूक गांव के रूप में भी जाना जाता है. इसी गांव के निवासी लक्ष्मण कुमार नायक 2020 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोमिया विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं. किसी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले वह कसमार प्रखंड के दूसरे नेता हैं. वह जिला 20 सूत्री समिति के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. इनकी पत्नी गीता देवी कसमार उत्तरी क्षेत्र से लगातार दो बार जिला परिषद सदस्य भी रह चुकी हैं. इसके अलावा इस गांव के अनेक लोग राजनीतिक तौर पर काफी सक्रिय हैं और लोगों में राजनीतिक चेतना है. दांतू में तेली जाति की बहुलता है. 740 परिवारों में 571 परिवार तेली जाति के हैं. बाकी अन्य जातियों में मांझी (अनुसूचित जाति), धोबी, घासी, रविदास (अनुसूचित जाति) एवं पिछड़ा वर्ग के नापित, दसौंधी, घटवार, बनिया आदि शामिल हैं. यह गांव राजनीतिक तौर पर भी काफी जागरूकता माना जाता है. गांव में 6 तालाब है और खांजो नदी भी गुजरी हुई है. एक जोरिया भी है.

Also Read: Jharkhand News: RJD सुप्रीमो Lalu Yadav के कमरे के पंखे में लगी आग, पलामू में टला बड़ा हादसा

दांतू राजस्व गांव की आबादी (2011 की जनगणना)

एससी 756

एसटी 58

अन्य 2472

कुल 3287

Also Read: Sarkari Naukri 2022: झारखंड में 55 हजार से अधिक पदों पर होगी बहाली, सीएम हेमंत सोरेन ने दिए ये निर्देश

रिपोर्ट : दीपक सवाल, कसमार, बोकारो

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें