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झारखंड : गोमिया के जंगलो में केंदू पेड़ का भंडार, पत्ते तोड़ ले जा रहे ग्रामीण, सरकार को लाखों का नुकसान

बोकारो में केदूं पेड़ का भंडार है, लेकिन समस्या है कि पहले की तरह वन विभाग केंदू पत्ता तोड़ने के लिये निविदा नहीं निकाल रहा. अब ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिल रहा. हालांकि, वे जंगल से बोरे भर-भरकर केंदू पत्ता ले जाते हैं और औने-पौने दाम में बेच देते हैं. इससे सरकार को राजस्व का घाटा हो रहा है.

ललपनिया (बोकारो) नागेश्वर. बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के विभिन्न जंगलो में केदूं पेड़ का भंडार है. वन विभाग के द्वारा केंदू पत्ता तोड़ने के लिये प्रत्येक साल लाखों रुपये की निविदा निकाली जाती थी, लेकिन विडबंना की बात है कि बीते पांच सालों से विभाग के द्वारा ना केंदू पत्ता तोड़ने के लिये पहल की जा रही है और ना ही निविदा निकाली गयी, जिससे वन विभाग को प्रत्येक साल लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

अवैध रूप से केंदू पत्ता को तोड़कर ले जा रहे ग्रामीण

केंदू पत्ता तोड़ने में सैकडों की संख्या में महिला और पुरुष रोजगार से जुड़ते थे. उनका भी रोजगार छिन गया है. जंगलों से प्रत्येक दिन दर्जनों की संख्या में महिलाएं और पुरुष‌ अवैध रूप से केंदू पत्ता को तोड़कर बोरा में भरकर ले जा रहे हैं. वहीं, बीड़ी निर्माण में जुड़े व्यवसायी उनसे औने पौने दाम में केंदू पत्ते की खरीददारी कर रहे हैं.

गोमिया के 36 में 20 पंचायतों में केंदू पेड़ का भरमार

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार गोमिया प्रखंड 36 पंचायतों से जुड़ा है. इन 36 में 20 पंचायतों में वन भूमि में केंदू पेड़ का भरमार है. जब वन विभाग केदूं पत्ता की तुड़ाइ के लिए निविदा निकालता था, तब सैकडों की संख्या मे महिला और पुरुष पत्ता तोड़ ‌बीड‌ बांध कर जमा करते थे. इस काम में ग्रामीण स्कूली बच्चे भी माता पिता का सहयोग करते थे. इस काम में जुड़े मजदूरों को ठेकेदार के द्वारा मजदूरी दिया जाता था, लेकिन अब निविदा नहीं निकाले जाने से ग्रामीणों के साथ सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है.

इन क्षेत्रों में मिलते हैं केंदू पेड़

दनिया, तिलैया, झुमरा, बडकीसिधावारा, हुरलूंग, चतरोचट्टी, बडकीचिदरी, कर्री, बडकीपुनू, कुन्दा, हुरलूंग, अइयर, तुलबुल, सियांरी, इसके अलावा जिनगा, लुगु पहाड के तलहटी के जंगलो में भी केंदू पत्ता का भंडार मिलता है.

बंगाल में केंदू पत्ता की ज्यादा मांग

बंगाल के पुरूलिया, मिदनापुर के अलावा असम में केंदू पत्ता की अधिक डिमांड थी, जो सवेंदक के द्वारा ट्रक के माध्यम से भेजा जाता था. इसके अलावा झारखंड के सिल्ली, देवघर, झालदा और बिहार के पुर्णिया आदि जगहों में सप्लाइ किया जाता था. बता दें कि केंदू पत्ता बीड़ी बनाने में काम आता है.

क्या कहता है वन विभाग

लाखों के नुकसान के बाद भी इस दिशा में वन विभाग की ओर से पहल नहीं की जा रहाी है. इस सबंध में हजारीबाग पूर्वी वन प्रमडंल के डीएफओ सौरभ चंद्रा और बोकारो जिला के डीएफओ रजनीश कुमार ने कहा कि केंदू पत्ता तोड़ने और बिक्री वन विकास निगम के माध्यम से होती है. काफी वर्षों से केंदू पत्ता तोड़ने का काम और बिक्री ना होना मेरी जानकारी में नही है. फिर भी इस दिशा में पता किया जाएगा.

ग्रामीणों की मांग

इधर गोमिया प्रखंड के चतरोचटी पंचायत के मुखिया महादेव महतो, वन किकास समिति के अध्यक्ष गणपत महतो, सामाजिक कार्यकर्ता कामेश्वर महतो, चंदन उरांव, सुनील राम ने विभाग से मांग की है कि पहले की तरह केंदू पत्ता तोड़ने का काम शुरू हो ताकि लोगों को रोजगार मिले और सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी हो.

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