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दशकों बाद रोहिणी नक्षत्र में भारी बारिश, आद्रा नक्षत्र में शुरू नहीं हुई धनरोपनी, खेती में नुकसान की आशंका से बढ़ी किसानों की चिंता

Jharkhand News, बोकारो न्यूज (दीपक सवाल) : झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड में धान की खेती अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाई है. अमूमन किसानों ने खेतों की जुताई तो कर ली है पर उसमें अभी तक धान के बिचड़े नहीं डाले जा सके हैं. पिछले कुछ सप्ताह से लगातार बारिश के कारण इस बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. बुजुर्ग किसानों ने कहा कि कई दशकों बाद ऐसी स्थिति आयी है. प्रखंड के कुछ किसानों ने लेवा बिहन डालने का मन बनाया है.

Jharkhand News, बोकारो न्यूज (दीपक सवाल) : झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड में धान की खेती अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाई है. अमूमन किसानों ने खेतों की जुताई तो कर ली है पर उसमें अभी तक धान के बिचड़े नहीं डाले जा सके हैं. पिछले कुछ सप्ताह से लगातार बारिश के कारण इस बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. बुजुर्ग किसानों ने कहा कि कई दशकों बाद ऐसी स्थिति आयी है. प्रखंड के कुछ किसानों ने लेवा बिहन डालने का मन बनाया है.

आमतौर पर रोहिणी नक्षत्र के समय धान का बीजा डालने का समय होता है. इस बार उसी अवधि में यास तूफान आ जाने के कारण खेतों में बिछड़ा डालना संभव नहीं हो पाया था. यास तूफान थमने के बाद कृषक खेतों के सूखने के इंतजार में थे, पर उससे पहले ही मानसून ने दस्तक दे दी और लगातार बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कृषकों का कहना है कि जब तक खेत सूख नहीं जाते, उसमें धान का बीजा नहीं डाला जा सकता. बीज डालने के लिए फिलहाल खेत में कम से कम एक सप्ताह धूप पड़ना जरूरी है, लेकिन ऐसी स्थिति दिख नहीं रही है.

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चंडीपुर के कृषक ओबीलाल महतो व नुनाराम महतो के अनुसार, पिछले कई दशकों के बाद ऐसी स्थिति आई है. जब रोहिणी नक्षत्र के समय इतनी बारिश हुई है. यही कारण है कि इस बार धान की खेती काफी प्रभावित होने की आशंका है. दांतू के कृषक विवेकानंद नायक का मानना है कि सामान्यतः आद्रा नक्षत्र में धनरोपनी शुरू हो जाती है, लेकिन इस समय जो स्थिति दिख रही है, उससे यही कहा जा सकता है कि इस बार आद्रा नक्षत्र के समय धान का बीजा ही डाला जा सकता है. ऐसी परिस्थिति में खेती प्रभावित होना तय है.

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कृषक भागवत महतो बताते हैं कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए कुछ कृषकों ने लेवा बिहन डालने का मन बनाया है. इसके तहत पानी से लबालब भरे खेतों को कीचड़मय बनाया जाता है. दूसरी ओर लेवा बिहन तैयार करने के लिए धान को एक दिन पहले पानी में डूबोकर रख दिया जाता है. अगले दिन उसे पानी से निकालकर अलग कर सुखाया जाता है. जब वह धान फट जाता है, तब उसे खेतों में फेंक कर बिछड़ा तैयार किया जाता है. श्री महतो कहते हैं कि इसमें खतरा यही है कि बिछड़ा को निकालने के समय भी खेतों में नमी रहना जरूरी होता है. वरना उसे निकालने के समय उसके टूट कर बर्बाद हो जाने का खतरा बना रहता है.

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इधर, प्रखंड के सभी पैक्सों में धान के बीज उपलब्ध करा दिए गए हैं, पर मौसम अनुकूल नहीं होने के कारण कृषक उसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. प्रखंड के धान बीज के कारोबारी भी चिंतित हैं. जानकारी के अनुसार प्रखंड में पांच करोड़ से अधिक के धान बीज दुकानदारों ने मंगा कर रखे हैं. उन्हें अभी तक ग्राहकों का इंतजार ही करना पड़ रहा है.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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