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दिलीप कुमार की पहली पुण्यतिथि पर बोलीं सायरा बानो- ‘फीकी’ हो चुकी है जिंदगी

सायरा बानो ने विशेष इंटरव्यू में कहा, ‘‘युसुफ साहब के बिना मेरा जीवन 'फीका' है. यह एक अलग तरह का प्यार है. आप अपने जीवन में कुछ लोगों की जगह किसी और को नहीं दे सकते.

मुंबई : दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार के निधन को एक साल हो गया है और उनकी पत्नी सायरा बानो का कहना है कि दिलीप कुमार के साथ उनके जीवन का हर रंग चला गया है और उनका जीवन फीका हो चुका है. चिकित्सकों ने सायरा को लोगों से मिलने जुलने और व्यस्त रहने की सलाह दी है. लेकिन, तमाम कोशिशों के बावजूद सायरा के लिए जीवन में आगे बढ़ना मुश्किल हो गया है.

युसुफ साहब के बिना मेरा जीवन ‘फीका’ है

सायरा बानो ने पीटीआई-भाषा को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा, ‘‘युसुफ साहब के बिना मेरा जीवन ‘फीका’ है. यह एक अलग तरह का प्यार है. आप अपने जीवन में कुछ लोगों की जगह किसी और को नहीं दे सकते. मुझे चाहे दुनिया की सारी दौलत दे दो और दूसरी ओर दिलीप साहब को रख दो…., मुझे दिलीप साहब चाहिए.”

55 साल तक चला दोनों का रिश्ता

‘मुगल-ए-आजम’, ‘शक्ति’ और कई अन्य फिल्मों में शानदार अभिनय के जरिए भारतीय सिनेमा के इतिहास में महान कलाकारों की सूची में अपना नाम दर्ज कराने वाले दिलीप कुमार लोगों के लिए एक दिग्गज अभिनेता थे लेकिन सायरा बानो के लिए वह उनके ‘साहब’ थे. दिलीप कुमार और सायरा बानो का रिश्ता करीब 55 साल, दिलीप कुमार के निधन तक चला.

सायरा ने सहेज कर रखी हैं यादें

दिलीप कुमार की आंखों में चमक, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के लिए उनका प्यार और विशेष चाय के लिए उनका शौक, ये मुट्ठी भर कुछ यादें हैं जिन्हें सायरा ने सहेज कर रखा है. केवल 12 साल की उम्र में ही सायरा बानो दिलीप कुमार की दीवानी बन गईं थीं. पिछले साल 98 वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार का निधन हो गया था.

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इन फिल्मों में अभिनय का लोहा मनवाया

दिलीप कुमार ने अपने एक्टिंग की शुरुआत 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से की थी, इसे बॉम्बे टॉकीज ने प्रोड्यूस किया था. करीब पांच दशक के एक्टिंग करियर में 65 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. इस फ़िल्म में उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया था. दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी में दुखद भूमिकाओं से वो मशहूर हो गये और उन्हें ट्रेजिडी किंग के नाम से जाना गया. मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई. यह फ़िल्म पहले ब्‍लैक एंड व्‍हाइट थी और 2004 में रंगीन बनाई गई. 1983 में फिल्म ‘शक्ति’, 1968 में ‘राम और श्याम’, 1965 में ‘लीडर’, 1961 की ‘कोहिनूर’, 1958 की ‘नया दौर’, 1954 की ‘दाग’ के लिए उन्‍हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया.

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