Lucknow: नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट से उत्तर प्रदेश को कई अपेक्षाएं हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी.अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ये बजट बेहद महत्वपूर्ण है. माना जा रहा है कि इस बजट के जरिए मोदी सरकार उत्तर प्रदेश को साधने का प्रयास करेगी. इसके लिए योगी सरकार की ओर से केंद्र को भेजे गए कई प्रस्तावों को हरी झंडी मिल सकती है. इसके अतिरिक्त कुछ नई सौगातें भी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
उत्तर प्रदेश की बड़ी अपेक्षाओं में एक एम्स, एक आईआईटी और एक आईआईएम है. इन्हें लेकर जिस तरह से केंद्र का रुख रहा है, माना जा रहा है कि यूपी की ये मांगें पूरी हो सकती हैं. निर्मला सीतारमण बजट में इसका ऐलान कर सकती हैं.
दरअसल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की नवंबर 2022 में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ नई दिल्ली में बैठक हुई थी. इस दौरान योगी सरकार ने केंद्र से यूपी के विकास को लेकर अपनी कुछ अपेक्षाएं जाहिर करते हुए इन्हें पूरा करने की अपील की थी. इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक एम्स, आर्थिक रूप से पिछड़े बुंदेलखंड में एक आईआईटी और पूर्वांचल में आईआईएम खोलने को लेकर सुझाव दिया गया था.
बैठक में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिए एक मेगा सिटी की स्थापना की भी मांग की गई थी. साथ ही सिंचाई परियोजनाओं के तहत अर्जुन सहायक तथा मध्य गंगा नहर परियोजना के दूसरे चरण के लिए धनराशि की आवश्यकता जताई गई थी. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के जरिए अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार देने के लिए 40 करोड़ मानव दिवस की मांग की गई. सभी मंडल मुख्यालयों पर आईटी पार्क की स्थापना के लिए विशेष वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने को कहा गया.
इसके साथ ही केंद्रीय मार्ग नदी परियोजना के तहत करीब 3000 करोड़ रुपये, पुलिस आधुनिकीकरण योजना, जनपदों में न्यायालय कक्ष व आवासों के निर्माण के लिए भी धनराशि की मांग की गई थी. वहीं 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ की तैयारियों के मद्देनजर भी केंद्रीय बजट से धनराशि आवंटन की अपील की गई थी.
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राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट एक तरह से चुनावी बजट होगा. इस लिहाज से उनकी पूरी कोशिश होगी कि राज्यों की अपेक्षाओं के लिहाज से उनको सौगातें दी जा सकें. इनमें भाजपा शासित राज्य अहम हैं, क्योंकि यहां केंद्रीय आवंटन के बाद विभिन्न योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाकर पार्टी सियासी लाभ लेने की कोशिश करेगी. इसलिए यूपी को अपनी अपेक्षाओं और उम्मीदों से ज्यादा भी मिल सकता है, क्योंकि यहां के लिए बजट में दी गई सौगातों से मोदी सरकार सीधे 80 लोकसभा सीटों को साधने की कोशिश करेगी. एम्स, आईआईटी और आईआईएम के जरिए बड़ा सियासी संदेश देते हुए चुनावी मुद्दा भी बनाया जाएगा.