नई दिल्ली : भारत के महानगर ही नहीं, दूसरी श्रेणी के शहरों की करीब 60 फीसदी महिलाएं नाइट शिफ्ट यानी रात की पाली में काम करना चाहती हैं. इसके पीछे अहम कारण कामकाजी सुविधाएं और बेहतर आमदनी को बताया जा रहा है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दूसरी श्रेणी के शहरों की महिलाएं अब श्रमबल का हिस्सा बनने को लेकर काफी उत्साहित हैं. यही नहीं कामकाज के घंटों में सुविधा और बेहतर आमदनी के अवसरों के लिए कुछ हटकर भूमिकाओं में भी काम करने को तैयार हैं और नौकरी बाजार में वे अपनी अलग पहचान बना रही हैं.
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में रोजगार और पेशेवर नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म ‘अपना’ पर भारत में पहली और दूसरी श्रेणी के शहरों के साथ इससे आगे के शहरों की 3.1 करोड़ से अधिक पेशेवरों ने बातचीत में हिस्सा लिया. इस प्लेटफॉर्म पर महिला यूजर्स की संख्या में सालाना आधार पर 36 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी गई. रिपोर्ट के अनुसार, ‘अपना’ के प्लेटफॉर्म पर नई महिला यूजर्स की संख्या में करीब 80 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई.
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पेटीएम, जोमैटो, रैपिडो और स्विगी जैसी कंपनियां अपने कार्यबल में विविधता लाने के प्रयास में महिलाओं के लिए सबसे अधिक पदों का विज्ञापन करने वाले शीर्ष भागीदारों में से रहीं. रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पिछले वर्ष के दौरान महिला यूजर्स न केवल आवश्यकता से बाहर रोजगार की खोज में है, बल्कि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की इच्छा से भी बाहर निकल रही हैं और तेजी से प्रतिस्पर्धी नौकरी बाजार में अपनी पहचान बना रही हैं.
अपना.कॉम के मुख्य कारोबार अधिकारी मानस सिंह ने बयान में कहा कि पिछले साल वर्ष 2022 में रात की पाली यानी नाइट शिफ्ट की नौकरियों के लिए 60 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया था. उन्होंने कहा कि हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई जैसे पहली श्रेणी के शहरों के अलावा इंदौर जैसे दूसरे श्रेणी के शहरों में महिलाओं की नियुक्ति के लिए विज्ञापन सालाना 28 फीसदी बढ़े हैं, जबकि चंडीगढ़ और लखनऊ में इसमें 15 फीसदी की वृद्धि हुई.
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अपना.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, एक और खास बात यह रही है कि श्रम गहन क्षेत्रों मसलन डिलिवरी, लैब टेक्निशियन, कारखाने में काम करने और ड्राइवर के रूप में नियुक्ति के लिए महिलाओं की ओर से आवेदनों में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. प्लेटफॉर्म पर अस्थायी नौकरी के लिए नौकरी के लिए आवेदन 67 फीसदी बढ़े, जबकि पूर्णकालिक या स्थायी नौकरी के लिए आवेदनों में 34 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई.
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