नई दिल्ली : भारत में आधार नंबर आधारित फेस ऑथेंटिकेशन का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है. अक्टूबर, 2021 में लॉन्च किए जाने के बाद अब इससे मासिक लेनदेन 10 मिलियन के पार पहुंच गया है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने गुरुवार को कहा कि सेवा वितरण के लिए आधार-आधारित फेस अथॉन्टिकेशन लेनदेन मजबूत गति प्राप्त कर रहा है. उसने कहा कि अक्टूबर 2021 में लॉन्च होने के बाद से मई में मासिक लेनदेन 10.6 मिलियन के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू गया है.
जनवरी से मई तक 38 फीसदी बढ़ोतरी
केंद्रीय सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मई 2023 में आधार बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन लेनदेन अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 10.6 मिलियन पर पहुंच गया है. इसका यह स्तर अक्टूबर 2021 में इस सुविधा को पेश किए जाने के बाद से सबसे अधिक है. मंत्रालय ने कहा कि यह लगातार दूसरा महीना है, जब आधार बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन लेनदेन की संख्या 10 मिलियन से अधिक है. आधार बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन लेनदेन की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. उसने कहा कि जनवरी 2023 के मुकाबले मई में लेनदेन में करीब 38 फीसदी तक वृद्धि दर्ज की गई है.
47 संस्थानों में सॉल्यूशन का इस्तेमाल
मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ओर से विकसित किए गए आधार बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन का इस्तेमाल पूरे देश के करीब 47 संस्थानों में हो रहा है. इसमें राज्य सरकार के विभागों और मंत्रालयों के अलावा केंद्र सरकार के मंत्रालय और बैंक शामिल हैं.
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कहां-कहां किया जाता है प्रयोग
रिपोर्ट में बताया गया है कि आधार बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभार्थियों की पहचान की जाती है. इसके अलावा, पीएम किसान सम्मान योजना के लाभार्थियों के सत्यापन और पेंशनभोगियों के डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र घर पर ही निकालने के लिए भी इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही, सरकार के विभागों में कर्मचारियों के उपस्थिति दर्ज करने के साथ बैंकों में खाता खोलने में आधार बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन काम आता है.
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