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Adani-Hindenberg: अडानी समूह की बढ़ सकती है मुश्किलें, SC में आज होगी सुनवाई, सेबी ने जांच में पाई गलतियां

Adani-Hindenberg Issue: सेबी ने 25 अगस्त को अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश की थी. जांच में अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों की तरफ से डिस्क्लोजर यानि जरुरी खुलासे और ऑफशोर फंड्स के होल्डिंग्स के मामले में नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है.

Adani-Hindenberg Issue: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. इसी साल 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे गंभीर आरोप लगाये थे. इसके बाद कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली. इसके बाद मामले की जांच सेबी (Securities and Exchange Board of India) के द्वारा की जा रही है. सेबी ने 25 अगस्त को अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश की थी. जांच में अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों की तरफ से डिस्क्लोजर यानि जरुरी खुलासे और ऑफशोर फंड्स के होल्डिंग्स के मामले में नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है. आज सेबी की जांच रिपोर्ट सबमिट करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

अडानी समूह को 100 बिलियन डॉलर का हुआ नुकसान

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के स्टॉक्स के वैल्यूएशन में 100 बिलियन डॉलर की कमी आ गई थी. हालांकि, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार सेबी ने कहा कि उसके द्वारा 24 मामलों में से 22 की जांच पूरी हो गयी है. जिन दो मामलों में अंतरिम रिपोर्ट सौंपा गया है उसमें अडानी समूह के 13 विदेशी एनटिटी यानि इकाईयों को लेकर जांच की जा रही है. हालांकि, सेबी के द्वारा अभी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है. मगर, बाजार के जानकार बताते हैं कि वर्तमान में जो रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह की तरफ से उल्लंघन का मामला टेक्निकल जैसा है जिसमें जांच पूरी होने के बाद मॉनिटरी पेनल्टी लगाया जा सकता है.

19 मई को कमेटी ने सार्वजनिक कर थी एक रिपोर्ट

पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक कमिटि बनायी गयी थी. कमिटि के द्वारा जांच रिपोर्ट जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक की गयी थी. कमेटी ने कहा था कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता. एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि SEBI को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं. साथ ही, अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है. वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना की बात सामने आयी है. कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी. जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया.

तथ्यों के आधार पर जांच पूरी

सुप्रीम कोर्ट में सेबी की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि एक मामले में सेबी ने अब तक एकत्र किए गए तथ्यों के आधार पर जांच-पड़ताल पूरी कर ली है. नियामक की मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुसार, अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली गई है और सक्षम प्राधिकारी ने भी इसे मंजूरी दे दी है. सेबी ने कहा कि बाकी बचे छह मामलों में से चार की जांच-पड़ताल में निष्कर्षों को स्पष्ट कर दिया गया है और उसके परिणामस्वरूप तैयार की गई रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी के पास भेजी गई है.

क्या है हिंडनबर्ग का आरोप

बताते चलें कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अडानी समूह पर हेराफेरी के जरिए कंपनियों के शेयरों को भगाने का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी की थी. इसके बाद अडानी समूह के स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी जाने लगी और अगले एक महीने में अडानी समूह के स्टॉक्स 85 फीसदी तक नीचे जा फिसले. इतना ही नहीं अडानी समूह को 20,000 करोड़ रुपये के अडानी एंटरप्राइजेज के मेगा एफपीओ को लॉन्च करने के बाद वापस लेना पड़ा.

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सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त तक दिया था निर्देश

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 11 जुलाई को सेबी से अदाणी ग्रुप के खिलाफ शेयरों की हेराफेरी करने के आरोपों में जांच की स्थिति बताने को कहा था. इसके साथ ही, जांच बढ़ाए गए समय यानी 14 अगस्त तक शीघ्रता से पूरी करने का निर्देश दिया था. अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने इस साल जनवरी में अदाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी और शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था. इन आरोपों के बाद ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संबद्ध पक्षों के बीच लेन-देन के खुलासे और शेयरों के दाम में गड़बड़ी की जांच के लिए दो मार्च को विशेषज्ञ समिति बनाई थी.

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