एयर इंडिया का पहला चौड़े आकार का ए350-900 विमान यूरोप की प्रमुख विमानन कंपनी एयरबस की फ्रांस स्थित टूलूज इकाई से भारत पहुंच गया है. बयान के अनुसार, वीटी-जेआरए के तौर पर पंजीकृत विमान राष्ट्रीय राजधानी स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर दोपहर 1.46 बजे उतरा. इसके साथ ही टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन अपने बेड़े में इस प्रकार का विमान रखने वाली भारत में पहली विमानन कंपनी बन गई है. इसमें कहा गया कि डिलिवरी उड़ान विशेष कॉल साइन एआई350 का उपयोग करके संचालित की जाती है. एयरलाइन ने कहा कि यह विमान एयर इंडिया के 20 एयरबस ए350-900 के ऑर्डर में से पहला है. इसकी मार्च, 2024 तक पांच और विमानों की आपूर्ति निर्धारित है. एयरबस के साथ अपने अब संशोधित 250 विमान ऑर्डर में एयर इंडिया 40 ए350 विमान लेगी, जिनमें 20-20 विमान ए350-900 और ए350-1000 होंगे. साथ ही, 140 विमान अपेक्षाकृत पतले आकार के ए321नियो और 70 विमान ए320नियो विमान होंगे.
एयर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) कैम्पबेल विल्सन ने कहा कि पहले एयरबस ए350-900 का आगमन कई मायनों में विश्व मंच पर भारतीय विमानन क्षेत्र के पुनरुत्थान की घोषणा है. एयरलाइन पहले ही घोषणा कर चुकी है कि शुरुआत में इस विमान को छोटी दूरी के मार्गों पर संचालित किया जाएगा और बाद में इसे लंबी दूरी की उड़ानों के लिए तैनात किया जाएगा. कंपनी ने कहा कि नया विमान अगले साल जनवरी में वाणिज्यिक सेवा देने लगेगा. शुरुआत में चालक दल के प्रशिक्षण के लिए घरेलू स्तर पर परिचालन किया जाएगा, इसके बाद अंतरमहाद्वीपीय गंतव्यों के लिए लंबी दूरी की उड़ान भरी जाएगी.
हवाई क्षेत्र के लचीले उपयोग से एयरलाइन सालाना बचा सकती हैं 1,000 करोड़ रुपये
हवाई क्षेत्र के उपयोग में लचीलेपन से विमानन कंपनियों को सालाना 1,000 करोड़ रुपये की बचत होगी. इससे उड़ान के समय, ईंधन के उपयोग और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने शनिवार को जारी विमानन क्षेत्र की समीक्षा में यह भी कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इस साल 18 दिसंबर तक रिकॉर्ड 1,562 वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस जारी किए हैं. मंत्रालय ने कहा कि हवाई अड्डों पर भीड़भाड़ की समस्या के समाधान के लिए कई यात्री संपर्क बिंदुओं पर क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न हवाई अड्डों पर उपलब्ध टर्मिनल बुनियादी ढांचों को दोबारा बनाकर अतिरिक्त जगह बनाई गई है. इस बीच, मंत्रालय ने कहा कि पहले लगभग 40 प्रतिशत हवाई क्षेत्र नागरिक उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं था, जिससे विमान अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबे मार्गों को अपनाते थे.
वायु सेना के नियंत्रण में है 30 प्रतिशत हिस्सा
विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय वायु सेना राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र के 30 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करती है. इसमें से 30 प्रतिशत को हवाई क्षेत्र के लचीले उपयोग के तहत ऊपरी हवाई क्षेत्र के रूप में जारी किया गया है. मंत्रालय ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में भारतीय वायुसेना नागरिक उपयोग के लिए हवाई क्षेत्र के इन हिस्सों को छोड़ने पर सहमत हो गई है, साथ ही 129 सशर्त मार्गों की घोषणा की गई है. बयान में कहा गया है कि इससे उड़ान के समय, ईंधन की महत्वपूर्ण बचत होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. एयरलाइंस को प्रति वर्ष लगभग 1,000 करोड़ रुपये की बचत होगी. अगस्त, 2020 से अब तक कुल बचत 640.7 करोड़ रुपये और कार्बन उत्सर्जन में कुल कमी 1.37 लाख टन है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस साल 19 नवंबर को भारत में एयरलाइंस से 4,56,910 घरेलू यात्रियों ने यात्रा की. कोविड-19 महामारी की चपेट में आने के बाद से यह एक दिन में सबसे अधिक लोगों ने हवाई यात्रा की थी. यह पूर्व-कोविड स्तर से 7.4 प्रतिशत अधिक है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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