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बैंक हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, शाखाओं में लटके हैं ताले, जानिए कितना हुआ नुकसान

निजीकरण के खिलाफ बैंककर्मियों की देशव्यापी हड़ताल आज दूसरे दिन भी जारी है. बैंको की शाखाओं में ताले लटके नजर आए. कोई भी अधिकारी या कर्मचारी बैंकों में नहीं पहुंचे. हड़ताल के पहले दिन बैंकिंग कामकाज पूरी तरह ठप रहा. हड़ताल के कारण बैंकों में नकदी जमा नहीं हुए, न तो पैसों की निकासी हुई.

  • बैंक कर्मियों की हड़ताल का दूसरा दिन

  • 10 लाख कर्मचारियों ने किया निजीकरण का विरोध

  • बड़ी संख्या में सरकारी बैंकों में कामकाज प्रभावित

निजीकरण के खिलाफ बैंककर्मियों की देशव्यापी हड़ताल आज दूसरे दिन भी जारी है. बैंको की शाखाओं में ताले लटके नजर आए. कोई भी अधिकारी या कर्मचारी बैंकों में नहीं पहुंचे. हड़ताल के पहले दिन बैंकिंग कामकाज पूरी तरह ठप रहा. हड़ताल के कारण बैंकों में नकदी जमा नहीं हुए, न तो पैसों की निकासी हुई. हड़ताल के कारण चेक समाशोधन और कारोबारी लेनदेन पूरी तरह प्रभावित रहा.

बता दें, यूनियन नेताओं के दो दिन की इस हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारी शामिल हुए हैं. नौ यूनियनों (एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ) के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने दो दिनों के हड़ताल का आह्वान किया है.

बैंक यूनियनों ने कहा कि हड़ताल के कारण तीन राष्ट्रीय ग्रिड चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में करीब 16,500 करोड़ रुपये के चेकों का समाशोधन नहीं हो सका. इसके अलावा कई लोगों को परेशानी भी हुई. कई लोग तो जानकारी के अभाव में बैंक गये लेकिन उन्हे बैरंग वापस आना पड़ा. हालांकि, बैंकों ने अपने ग्राहकों को पहले ही जानकारी दे दी थी कि वे लेनदेन के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करें.

बैंकों में ये सेवाएं ठप रहीं

  • पैसों का लेनदेन नहीं हुआ

  • न जमा हुआ न पैसा निकला

  • लोन नहीं मिला

  • एनईएफटी, आरटीजीएस, फॉरेन एक्सचेंज नहीं हुआ

झारखंड में हड़ताल का व्यापक असर: हड़ताल में यूनाइटेड फोरम में शामिल सभी नौ यूनियनों से जुड़े झारखंड के करीब 45 हजार कर्मचारी और अधिकारी (महिलाएं और पुरुष) शामिल हुए हैं. पहले दिन की हड़ताल का राज्य में व्यापक असर रहा. इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की सभी शाखाएं बंद रहीं.

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआइबीओसी) के महासचिव (झारखंड) सुनील लकड़ा का कहना है कि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. ऐसे फैसलों से बैंकों का स्वामित्व और ऋण बांटने का अधिकार कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जायेगा.

उन्होंने यह भी बताया कि, पूरे देश में बैंकों के 7.56 लाख करोड़ रुपये एनपीए खाते में चले गये हैं. कुल एनपीए का 80 प्रतिशत बड़े काॅरपोरेट घरानों के पास हैं. कुल एनपीए में से 1.15 लाख करोड़ रुपये वित्तीय वर्ष 2020-2021 में राइट ऑफ कर दिया गया है. यह स्थिति न सिर्फ बैंकों के लिए, बल्कि देश की आम जनता के लिए भी चिंता का विषय है.

Posted by: Pritish Sahay

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