Deposits: डिपॉजिट की वृद्धि रफ्तार कम होने पर देश के बैंक और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्रीज में घमासान मचा हुआ है. बैंकों में डिपॉजिट का लेवल घटता जा रहा है, जबकि सिस्टमैटिक इन्वेंस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए म्यूचुअल फंडों में निवेशकों द्वारा किए जाने वाले डिपॉजिट में लगातार तेजी आ रही है. इस वजह से बैंकों के कामकाज लोन डिस्ट्रिब्यूशन पर सीधा असर दिखाई दे रहा है. हाल के दिनों में बैंकों की डिपॉजिट वृद्धि में आ रही कमी पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चिंता जाहिर की थी. इसके बाद गुरुवार को मुंबई में इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) के कार्यक्रम में उसके चेयरमैन मातम वेंकट राव (एमवी राव) देश के बैंकर म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर बरस पड़े.
आईबीए ने म्यूचुअल फंडों पर लगाए बैंकों में डिपॉजिट घटाने का आरोप
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों में घटते डिपॉजिट लेवल को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच आईबीए ने कहा कि आसान नियमों की वजह से रिटेल डिपॉजिट बैंकों में आने के बजाय म्यूचुअल फंड स्कीम्स में जा रही है. आईबीए के चेयरमैन एमवी राव ने कहा कि आसान नियमों की वजह से म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों को अधिक रिटर्न दे रही हैं. इस कारण रिटेल इन्वेस्टर्स बैंकों में अपने पैसों को जमा नहीं कर रहे हैं.
ग्राहकों को पैसा जमा करने को नहीं दे सकते निर्देश
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख एमवी राव ने कहा कि बैंकों के लिए कोष का निवेश विनियमों से तय होता है, जबकि एमएफ कंपनियों पर ऐसे प्रतिबंध नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एमएफ कंपनियों को कोई अंतिम इस्तेमाल सत्यापन का सामना नहीं करना पड़ता है और बैंक ग्राहकों को अपना फंड उनके पास रखने का निर्देश नहीं दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि 99% म्यूचुल फंड निवेशक कोई रिसर्च नहीं करते हैं. वे अपने दांव लगाने के लिए एक ग्रुप के रूप में कार्य करते हैं, जिसके जोखिम भरे नतीजे सामने आ सकते हैं.
डिपॉजिट घटने पर म्यूचुअल फंडों पर दोष देना गलत: नीलेश शाह
डिपॉजिट और रिटर्न पर आईबीए चेयरमैन एमवी राव के हमले के जवाब में कोटक म्यूचुअल फंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नीलेश शाह ने इस दावे को समझ पाने में असमर्थता जताई. उन्होंने कहा कि बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ की धीमी रफ्तार का दोष म्यूचुअल फंड कंपनियों पर किस तरह डाला जा सकता है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य नीलेश शाह ने डिपॉजिट ग्रोथ की रफ्तार कम होने के पीछे धीमी जमा वृद्धि के लिए सरकारी शेष राशि को बैंकिंग प्रणाली से बाहर ले जाने, छोटी बचत योजनाओं की मौजूदगी और मुद्रा वितरण को बैंकों के विशेष अधिकार में रखने को अहम कारण बताया.
सरकार की शेष राशि बैंकों में जमा हो
नीलेश शाह ने अमेरिका समेत दुनिया के तमाम बाजारों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में डिपॉजिट ग्रोथ कमजोर पड़ने पर इस तरह के आरोप नहीं लगाए जाते हैं. उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी शेष राशि बैंकों में डिपॉजिट हो, जिससे सरकार को सालाना 12,000 करोड़ रुपये तक का ब्याज भी मिलेगा.
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बैंकों में पैसा जमा नहीं कर रहे बचतकर्ता
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साल से अधिक समय से बैंकिंग सिस्टम में डिपॉजिट में कमी आई है. ऐसे में लोन डिमांड को बनाए रखने की क्षमता पर चिंता जताई जा रही है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि बचतकर्ता अपना पैसा हाई यील्ड वाले म्यूचुअल फंड (एमएफ) में लगाना पसंद करते हैं और म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के मासिक प्रवाह में वृद्धि से इसकी पुष्टि भी होती है.
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