Bank 5-Day Working: देशभर के बैंक कर्मचारियों को आज एक बड़ा तोहफा मिल सकता है. बैंक कर्मियों को अब सप्ताह में दो दिन साप्ताहिक छुट्टी मिल सकती है. ये छुट्टी शनिवार और रविवार को दी जा सकती है. वर्तमान में बैंक में हर रविवार और महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टियां होती है. अगर आज बैंक में पांच कार्य दिवस पर अमल करने पर मुहर लगती है तो इससे कर्मचारियों को बड़ा आराम होगा. इसके बाद बैंक केवल सोमवार से शुक्रवार तक खुले रहेंगे. बैंक कर्मचारियों के हित में इस फैसले को लेकर इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) की बैंक कर्मचारियों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक एम्प्लॉइज आज हो रही है. इससे पहले मई महीने में आईबीए और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक एम्प्लॉइज पांच दिनों के कार्य सप्ताह पर सहमती जतायी थी.
17 जुलाई को यूनियन ने किया था बैठक
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक एम्प्लॉइज ने इससे पहले 17 जुलाई को एक बैठक का आयोजन किया था. इस बैठक में यूनाइटेड फोरम ने कहा था कि उसे आगामी बैठक में पांच दिवस कार्य सप्ताह पर विचार करने की जरूरत है. ईबीए ने कहा है कि इस बारे में सक्रियता से विचार किया जा रहा है. हमने आईबीए से इस मामले में तेजी से काम करने का अनुरोध किया है, ताकि बैंक कर्मचारियों के लिए नई व्यवस्था को अमल में लाने में और देरी न हो. बताया जा रहा है कि आज होने वाली बैठक में आईबीए और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक एम्प्लॉइज के द्वारा कई अन्य मुद्दों पर भी बात की जा सकती है. इसमें 5-डे वर्क वीक के अलावा सैलरी हाइक व रिटायर हो रहे कर्मियों के लिए ग्रुप मेडिकल इंश्योरेंस की जरूरत जैसे मुद्दों को प्रमुखता से शामिल करेगी.
बढ़ जाएगा बैंक का वर्किंग टाइम
आईबीए और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक एम्प्लॉइज की बैठक के बाद अगर बैंक में पांच दिन कार्य दिवस का फार्मूला लागू होता है तो इसके बाद बैंक का वर्किंग टाइम बढ़ना तय है. यूनियन के सूत्रों के अनुसार अगर नई व्यवस्था पर सहमति बनती है तो अब बैंक सुबह 9:45 बजे से शाम 5:30 बजे तक यानी रोज 40 मिनट अतिरिक्त काम करेंगे. हालांकि, इससे पहले पांच दिन वर्किंग के साथ एक घंटा डेली वर्किंग टाइम बढ़ाने की बात भी चल रही थी.
वास्तव में निजीकरण का खतरा: एआईबीओसी
देश में बैंक अधिकारियों की शीर्ष निकाय अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने इससे पहले गुवाहाटी में हुई एक बैठक में कहा था कि समाज में आर्थिक विभाजन को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर ‘वास्तव में निजीकरण का खतरा’ मंडरा रहा है. भारत में 55वें बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस की पूर्व संध्या पर निकाय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने 1969 में निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और बचत बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एआईबीओसी के महासचिव रुपम रॉय ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर वास्तव में निजीकरण का खतरा मंडरा रहा है। यह एक वैचारिक संघर्ष है जिसे ऐसी वैकल्पिक विचारधारा के जरिये दूर किया जा सकता है जो बड़ी आबादी के कल्याण को प्राथमिकता देती हो. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकरण के बाद से ये पीएसबी कृषि, लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई), शिक्षा तथा बुनियादी ढांचा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को धन मुहैया करा रहे हैं. वे आर्थिक विकास, वृद्धि को बढ़ावा देने और लाखों भारतीयों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं.
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