Bond : भारतीय सरकारी बांडों को जेपी मोर्गन चेस एंड कंपनी के उभरते बाजार बांड सूचकांक में जोड़ दिया गया है, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए धन जुटाना अधिक आसान और किफायती हो गया है. आरबीआई द्वारा एफएआर के माध्यम से जारी किए गए आईजीबी अब वैश्विक सूचकांकों का हिस्सा होंगे. जेपी मोर्गन ने बताया कि इन सूचकांकों में भारतीय बॉन्ड की औसत परिपक्वता अवधि करीब 7 साल होगी.
धन जुटाना होगा सस्ता
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाल स्ट्रीट बैंक के भारत के वरिष्ठ कंट्री ऑफिसर और एशिया प्रशांत के उपाध्यक्ष कौस्तुभ कुलकर्णी ने कहा कि भारत सरकार के बांडों में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने के साथ, घरेलू निवेशक भारतीय कंपनियों द्वारा जारी किए जाने वाले व्यापक ऋण पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे, जिससे कॉर्पोरेट फंड जुटाने की लागत को और कम करने का अवसर पैदा होगा.”
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अंतराष्ट्रीय निवेश आने की हैं संभावनाएं
कुलकर्णी का मानना है कि इंडेक्स में शामिल होने से सक्रिय और निष्क्रिय दोनों तरह के अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से नए निवेश आएंगे, जिससे सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी. उन्हें पिछले उदाहरणों के आधार पर जोखिम प्रीमियम और उधार लेने की लागत में कमी की भी उम्मीद है.
भारत है भविष्य का उभरता हुआ बाजार
कुलकर्णी ने बताया कि भारत को सूचकांक में शामिल किया जाना उभरते बाजारों में सबसे बड़े बाजारों में से एक के रूप में इसके महत्व को दर्शाता है. इस समावेशन से भारतीय ऋण बाजारों, विशेष रूप से सरकारी बॉन्ड में वैश्विक निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे एकीकरण में वृद्धि होगी. इसके अतिरिक्त, विदेशी निवेशक धीरे-धीरे अन्य घरेलू बॉन्ड में भी अधिक पूंजी आवंटित कर सकते हैं क्योंकि वे उनसे अधिक परिचित हो जाएंगे.
सूचकांक में शामिल होने वाला 25वां देश है भारत
जेपी मोर्गन के अनुसार, अगले 10 महीनों में बाजार में वैश्विक निवेश $20 से $25 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जिससे विदेशी स्वामित्व 2.5% से बढ़कर 4.4% हो जाएगा. इससे निवेशकों की एक विस्तृत श्रृंखला को $1.3 ट्रिलियन बाजार तक पहुंचने और उधार लेने की लागत कम करने में मदद मिलेगी. भारत अब इस सूचकांक में शामिल होने वाला 25वां देश है.
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