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Economic Survey: चाइनीज एफडीआई से ग्लोबल सप्लाई चेन में बढ़ेगी भारत की हिस्सेदारी

Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की ग्लोबल सप्लाई चेन में भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है. किसी भी क्षेत्र में चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है.

Economic Survey: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार 21 जुलाई 2024 को लोकसभा (Lok Sabha) में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 (Economic Survey 2023-24) को पेश कर दिया है. इस आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Chinese FDI) बढ़ने से भारत की ग्लोबल सप्लाई चेन (Global Supply Chian) में भागीदारी और निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है. इसमें कहा गया कि भारत ग्लोबल वैल्यू चेन्स (GVC) में अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहता है. इसलिए उसे पूर्वी एशिया की अर्थव्यवस्थाओं (East asia Economy) की सफलताओं तथा रणनीतियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. इन अर्थव्यवस्थाओं ने आमतौर पर दो मुख्य रणनीतियों का अनुसरण किया है. इसमें व्यापार लागत (Trade Cost) को कम करना और विदेशी निवेश (FDI) को आसान बनाना शामिल है.

भारत को चीन प्लस वन पॉलिसी को अपनाने की जरूरत

लोकसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत के पास चीन प्लस वन (China Plus One) रणनीति से लाभ उठाने के लिए दो विकल्प हैं. पहला यह कि वह चीन की सप्लाई चेन (Chinese Supply Chian) में शामिल हो जाए और दूसरा यह कि वह चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Chinese FDI) को बढ़ावा दे.

चीन से एफडीआई हासिल करना भारत के लिए अधिक फायदेमंद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है कि इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर फोकस करना अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक लगता है, जैसा कि पहले पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने किया था. इसके अलावा, ‘चीन प्लस वन’ विजन से लाभ प्राप्त करने के लिए एफडीआई को एक रणनीति के रूप में चुनना और व्यापार पर निर्भर रहने के मुकाबले अधिक फायदेमंद होगा.

सबसे बड़े आयात भागीदार चीन के साथ बढ़ रहा व्यापार घाटा

आर्थिक सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि चीन भारत का टॉप आयात भागीदार है और चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ रहा है. अमेरिका और यूरोप अपनी तत्काल आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं. इसलिए चीनी कंपनियों की ओर से भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है, बजाय इसके कि वे चीन से आयात करें, न्यूनतम मूल्य जोड़ें और फिर उन्हें दोबारा निर्यात करें.

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चीन से एफडीआई लाने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी

आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की ग्लोबल सप्लाई चेन में भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है. किसी भी क्षेत्र में चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है. भारत में अप्रैल, 2000 से मार्च, 2024 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी प्रवाह में चीन केवल 0.37 फीसदी (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) हिस्सेदारी के साथ 22वें स्थान पर था.

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