Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) मंगलवार 23 जुलाई को लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट (Budget) पेश करेंगी. इससे पहले देश के अर्थशास्त्रियों ने इस साल के बजट में योजनाओं पर होने वाली घोषणाओं पर अनुमान जाहिर किया है. देश के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बार के बजट में सरकार आयकर (Income Tax) से राहत देने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है. उनका कहना है कि सरकार की ओर से नई पेंशन प्रणाली (NPS) , आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) , बुनियादी ढांचा (Infrastructure), ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) और कृषि संबंधी योजनाओं और आंवटन पर ऐलान किया जा सकता है.
बजट में आयुष्मान भारत और एनपीएस पर हो सकती है घोषणा
बजट को लेकर पूछे गए सवाल पर देश के जाने-माने अर्थशास्त्री और राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि बजट में एनपीएस और आयुष्मान भारत पर कुछ घोषणाओं की उम्मीद है. पेंशन योजनाओं को लेकर राज्यों के स्तर पर काफी चर्चा हुई है. केंद्र सरकार ने एनपीएस को लेकर समिति भी गठित की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत के बारे में कुछ बातें कही हैं. ऐसे में दोनों योजनाओं में कुछ घोषणाओं की उम्मीद की जा सकती है.
आयुष्मान भारत में 70 साल से अधिक उम्र के लोगों का इलाज
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि 70 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी का ध्यान निवेश के जरिये लोगों के मान-सम्मान और बेहतर जीवन तथा रोजगार सुनिश्चित करने पर है.
सामाजिक सुरक्षा के लिए आयुष्मान भारत महत्वपूर्ण
एनपीएस और आयुष्मान भारत के बारे में अर्थशास्त्री और विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आरआईएस) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है. प्रमुख कार्यक्रम पहले से ही पूर्ण लक्ष्य तक पहुंचने के करीब हैं. इस दिशा में नए उपायों की उम्मीद की जा सकती है. एनपीएस और आयुष्मान भारत योजना पर एनआईपीएफपी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि महामारी के बाद की राजकोषीय रणनीति में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं महत्वपूर्ण हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र में बीमा योजनाएं इस प्रणाली को और अधिक महंगा बनाती हैं. बीमा योजनाओं के बजाय हमें मजबूत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता है.
आयकर से राहत की उम्मीद कम
लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बीच बजट में टैक्स मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर एनआर भानुमूर्ति कहा कि मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों का प्रत्यक्ष कर नीति पर असर पड़ेगा. निजी खपत चिंता का विषय है. ऐसे में जीएसटी परिषद को अपनी दरों को कम करने पर विचार करना चाहिए. खासकर तब जब टैक्स कलेक्शन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. सचिन चतुर्वेदी ने भी कहा कि मुझे नहीं लगता कि बजट में इस संबंध में कुछ होगा. लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि टैक्स रेट में कमी से लोगों के हाथों में खर्च करने लायक आमदनी में वृद्धि होगी और यह उपभोग को बढ़ावा दे सकता है. हमें ध्यान रखना होगा कि देश की आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा (लगभग चार प्रतिशत) ही आयकर अदा करता है. इससे आयकर में राहत मिलने की उम्मीद कम ही दिखाई देती है.
सरकार का बजट में सात प्राथमिकताओं पर फोकस
बजट में प्राथमिकता के बारे में सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि बजट में पहले से चिह्नित सभी सात प्राथमिकताएं समावेशी विकास, अंतिम छोर तक पहुंच, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता का उपयोग, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र के विस्तार पर ध्यान जारी रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में बजट के लिए तीन प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं. पहला, पूंजीगत व्यय को संदर्भ बिंदु के रूप में रखते हुए बुनियादी ढांचे के विकास पर लगातार ध्यान देना. दूसरा, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन को बढ़ावा देना और अंत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. इन तीन उपायों से न केवल अन्य क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था में रोजगार भी बढ़ेगा.
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आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने वाला होगा बजट
अर्थशास्त्री सचिन चक्रवर्ती ने कहा कि यह आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने वाला बजट होगा. वित्त मंत्री के लिए राजकोषीय मजबूती के रास्ते से हटने की गुंजाइश बहुत कम है. 80 करोड़ आबादी को मुफ्त अनाज योजना से जुड़े सवाल के जवाब में चतुर्वेदी ने कहा कि भारत ने काफी प्रयासों के बाद 35 करोड़ से अधिक लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है. उन्हें फिर से उसी स्थिति में जाने से रोकने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए. खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम उस स्तर पर समाधान का सिर्फ एक हिस्सा है.
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