21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Why Byju’s Failed: कर्मचारियों का वेतन देने के लिए बायजू के मालिक ने घर रखा गिरवी, जानें क्यों फेल हुई कंपनी

Why Byju's Failed: वित्तीय संकट से गुजर रहा शिक्षा-प्रौद्योगिकी मंच बायजू अगले साल मार्च तक कंपनी परिचालन के वित्तपोषण के लिए 600-700 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने की प्रक्रिया में है.

Why Byju’s Failed: भारतीय स्टॉर्ट अप और शिक्षा-प्रौद्योगिकी मंच बायजू पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. बताया जा रहा है कि कंपनी के मालिक को अपना घर तक गिरवी रखना पड़ा है. वित्तीय संकट से गुजर रहा शिक्षा-प्रौद्योगिकी मंच बायजू अगले साल मार्च तक कंपनी परिचालन के वित्तपोषण के लिए 600-700 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने की प्रक्रिया में है. इस बीच, कंपनी के संस्थापक बायजू रवींद्रन (BYJU’S Founder Raveendran) ने हाल ही में वेतन का भुगतान करने के लिए अपने परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले घर और अचल संपत्तियों को गिरवी रखकर धन जुटाया है. घटनाक्रम से परिचित सूत्रों ने कहा कि बायजू को मार्च, 2023 तक एपिक और अन्य सहायक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी की आंशिक बिक्री से भी वित्त जुटाने की उम्मीद है. एक सूत्र ने कहा कि कंपनी के परिचालन खर्चों में प्रति माह लगभग 50 करोड़ रुपये का अंतर है, जिसमें एक बड़ा घटक वेतन है. प्रवर्तकों ने इस अंतर को दूर करने के लिए परिवार के सदस्यों के शेयर, घर और कुछ अन्य अचल संपत्तियां गिरवी रखी हैं.

20 दिसंबर को होगी कंपनी की एजीएम

एक सूत्र ने कहा कि प्रवर्तक मार्च तक परिचालन में मदद के लिए 600-700 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने की प्रक्रिया में हैं. उस समय तक एपिक और कुछ अन्य सहायक कंपनियों में आंशिक हिस्सेदारी की बिक्री से हालात थोड़े सहज हो जाएंगे. एक अन्य सूत्र ने कहा कि बायजू ने 20 दिसंबर को वार्षिक आम बैठक (एजीएम) बुलाई है. उसमें प्रवर्तकों द्वारा गिरवी रखी गई संपत्तियों को कंपनी के बोर्ड के ध्यान में लाया जाएगा. इस बैठक में वित्त वर्ष 2021-22 के वित्तीय नतीजों को भी शेयरधारकों के समक्ष रखा जाएगा. एक सूत्र ने कहा कि कंपनी 160 करोड़ रुपये के प्रायोजन बकाया के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को पुनर्भुगतान कार्यक्रम पेश करने की प्रक्रिया में है. एपिक की बिक्री उन्नत चरण में पहुंच चुकी है. इसके अलावा मौजूदा निवेशकों से भी नए फंड डालने की उम्मीद की जाती है. हालांकि इस संबंध में टिप्पणी के लिए बायजू को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला. पिछले महीने मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप के चेयरमैन रंजन पई ने बायजू द्वारा डेविडसन केम्पनर से जुटाए गए 1,400 करोड़ रुपये के कर्ज का अधिग्रहण किया था. पई के स्वामित्व वाला फंड आरिन कैपिटल बायजू में 2013 में पहला संस्थागत निवेशक था.

Also Read: Raymond: 8 साल अफेयर.. फिर शादी के 24 साल बाद पत्नी से अलग हुए उद्योगपति गौतम सिंघानिया, जानें क्या पूरी कहानी

क्यों फेल हो गयी कंपनी

शिक्षा-प्रौद्योगिकी मंच के रुप में बायजू काफी तेजी से उभरा. इसके माध्यम से छात्रों को सस्ते में अच्छी ऑनलाइन शिक्षा मिल रही थी. कोविड काल में कंपनी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. साथ ही, बच्चों की काफी मदद हुई. मगर कई कारणों से कंपनी की स्थिति खराब हो गयी.

  • बाजार संतृप्ति और प्रतिस्पर्धा

    भारत में एड-टेक बाजार संतृप्त हो गया, जिसमें कई खिलाड़ी हिस्सा लेने के लिए प्रतिस्पर्धा करने लगे. स्थापित प्रतिस्पर्धियों और उभरते स्टार्टअप्स ने प्रतिस्पर्धा तेज कर दी, जिससे बायजू के लिए बाजार में अपना प्रभुत्व बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया.

  • स्केलिंग और परिचालन बाधाएं

    तेजी से विस्तार ने परिचालन संबंधी चुनौतियां पैदा कीं, जिससे ग्राहक सेवा और सामग्री वितरण की गुणवत्ता प्रभावित हुई. विकास को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में असमर्थता के कारण ग्राहक प्रतिधारण संबंधी समस्याएं पैदा हुईं.

  • धन उगाही पर अत्यधिक निर्भरता

    बायजू ने निरंतर धन उगाहने पर बहुत अधिक भरोसा किया, जिससे वास्तविक विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अत्यधिक दबाव पैदा हुआ. ठोस राजस्व धाराओं के बिना स्केलिंग पर ध्यान केंद्रित करने से एक अस्थिर व्यवसाय मॉडल तैयार हुआ.

  • छंटनी का निर्णय और उसका प्रभाव

    जैसे ही बायजू को बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ा, कंपनी ने छंटनी को लागू करने का कठिन निर्णय लिया, जिससे उसके कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रभावित हुआ. इस कदम ने न केवल कंपनी के संघर्षों की गंभीरता को उजागर किया बल्कि कर्मचारियों के मनोबल और सार्वजनिक धारणा पर भी असर पड़ा. छंटनी के फैसले ने बायजू के आंतरिक मुद्दों को सामने ला दिया, जिससे कंपनी की तूफान का सामना करने की क्षमता और प्रतिभा प्रबंधन के दृष्टिकोण पर सवाल उठाया गया.

  • राजस्व और निवेशकों के विश्वास में गिरावट

    बायजू को शुरू में एक यूनिकॉर्न के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था. लेकिन बाजार संतृप्ति और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण इसकी राजस्व वृद्धि स्थिर होने लगी. राजस्व धाराओं में विविधता लाने में विफलता और कुछ प्रमुख उत्पादों पर अत्यधिक निर्भरता ने टिकाऊ विकास की इसकी क्षमता को सीमित कर दिया.

    (भाषा इनपुट के साथ)

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें