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Canara Bank के शेयर को 5 भागों बांटने पर बोर्ड ने लगाई मुहर, समझें स्टॉक स्प्लिट का क्या है अर्थ, क्यों ऐसा करती है कंपनी

Canara Bank Share Split: 26 फरवरी को केनरा बैंक के बोर्ड की बैठक हुई थी. इस बैठक में बोर्ड ने दस रुपये के फेस वैल्यू वाले शेयर को पांच भागों में बांटने के प्रस्ताव पर मुहर लगी है.

Canara Bank Share Split: सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंकों में शामिल केनरा बैंक ने बताया कि बोर्ड ने बैंक के शेयरों की तरलता बढ़ाने और उन्हें खुदरा निवेशकों के लिए अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रत्येक शेयर को पांच शेयरों में विभाजित करते हुए स्टॉक विभाजन को मंजूरी दे दी है. बैंक ने बताया कि स्टॉक स्प्लिट में कम से कम दो से तीन महीने का वक्त लग सकता है. बता दें कि 26 फरवरी को केनरा बैंक के बोर्ड की बैठक हुई थी. इस बैठक में बोर्ड ने दस रुपये के फेस वैल्यू वाले शेयर को पांच भागों में बांटने के प्रस्ताव पर मुहर लगी. Canara Bank ने बताया कि इससे बैंक के शेयरों की सप्लाई बाजार में बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे स्टॉक की कीमत भी कम हो जाएगी. इससे खुदरा निवेशकों को के लिए शेयर की खरीदारी और बिक्री आसान होगी. साथ ही, रिटेल निवेशकों का बेस भी बढ़ेगा.

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क्या है आज शेयरों की स्थिति

सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है. इस बीच, सुबह 10.15 बजे Canara Bank का स्टॉक में 0.62 प्रतिशत यानी 3.55 अंकों की तेजी के साथ 576.80 पर कारोबार कर रहा है. वहीं, स्टॉक स्प्लिट की खबर बाजार में आने से पहले केनरा बैंक के शेयर 1.24 प्रतिशत के उछाल के साथ 573.25 रुपये पर बंद हुआ था. बता दें कि केनरा बैंक का स्टॉक मल्टीबैगर स्टॉक की श्रेणी में शामिल है. निवेशकों को पिछले एक महीने में इससे 21.34 प्रतिशत का रिटर्न मिला है. जबकि, छह महीने में 76.27 प्रतिशत और एक साल में 111 प्रतिशत का रिटर्न मिला है. जबकि, दो सालों में कंपनी ने 162 प्रतिशत और तीन साल में कंपनी ने 265 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. पिछले साल 27 फरवरी को कंपनी का स्टॉक 276 रुपये पर बंद हुआ था. केनरा बैंक ने दिसंबर तिमाही में शानदार प्रदर्शन किया है. इस तिमाही में कंपनी का मुनाफा 3656 करोड़ रुपये हो गया है. जो पिछले साल इसी तिमाही में 2832 करोड़ रुपये हुआ है.

स्टॉक स्प्लिट का क्या अर्थ होता है

स्टॉक स्प्लिट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी कंपनी के स्टॉक के मौजूदा शेयर की संख्या बढ़ाई जाती है, लेकिन शेयरधारकों को उसी कुल मूल्य पर अधिक शेयर मिलते हैं. इस प्रकार का स्टॉक स्प्लिट कंपनी के स्टॉक पर नकेल (पार्सियल) विभाजन करता है, जिससे एक पुराना शेयर कई नए शेयरों में विभाजित हो जाता है. यह तकनीक कंपनी के शेयर की लिक्विडिटी और व्यापकता को बढ़ाने के लिए कारगर हो सकती है. स्टॉक स्प्लिट के बाद, शेयर का मूल्य भी कम हो जाता है, जिससे नए निवेशक भी शेयर खरीदने में रुचि लेते हैं. उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी के पास 1,000 शेयर हैं और उसने 2:1 रेट में स्टॉक स्प्लिट किया है, तो उसके पास अब 2,000 शेयर होंगे, परंतु प्रत्येक शेयर का मूल्य आधा हो जाएगा. इससे किसी ने एक शेयर की कीमत में बदलाव किए बिना अब उन्हें दोगुनी संख्या में शेयर मिलेंगे.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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