Onion Crisis: पूरी दुनिया इस समय प्याज की बढ़ती कीमत और घटते उत्पाद की समस्या से जूझ रहे हैं. लगातार बढ़ती हुई कीमतों की वजह से विश्व बैंक ने चेतावनी भी जारी की थी. लेकिन, वहीं दूसरी तरफ भारतीय उत्पादकों और व्यापारियों की माने तो देश में प्याज की कीमतें इतनी कम हो गयी है कि किसान अपने उत्पाद को बेचने की जगह सड़ने दे रहे हैं. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के साथ कदम उठाया. नेशनल एग्रीकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (NAFED), जो कि एक राज्य द्वारा संचालित कृषि उपज व्यापारी है- एशिया के सबसे बड़े प्याज व्यापार केंद्र नासिक से अधिशेष खरीदने और बेचने के लिए कहा.
प्याज की सस्ती कीमतें उपभोक्ताओं को बहुतायत के कारण खुश कर रही हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि कमीशन और स्थानीय बाजार टैक्सों का भुगतान करने के बाद उन्हें 1-2 रुपये प्रति किलोग्राम और यहां तक कि 0 रुपये के बीच कहीं भी मिल रहा है. प्याज की कीमतें, अधिकांश भारतीय व्यंजनों का मुख्य सामग्री इस समय भरमार और कमी के चक्र के साथ, अस्थिरता से भी ग्रस्त हैं. अन्य वस्तुओं की तुलना में जब प्याज महंगा होता है तो कोई भी परिवार ज्यादा परेशान होता है.
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प्याज की खेती और सप्लाई पर असर पड़ने के कुछ मुख्य कारणों पर अगर बात करें तो इनमें, खराब मौसम और गलत स्टोरेज भी शामिल है. ऐसे ही कुछ कारणों की वजह से कुछ ही हफ्तों में प्याज की आपूर्ति सरप्लस से दुर्लभ हो सकती है.
पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र, सोलापुर के बागवान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण, जो प्याज के सबसे बड़े उत्पादक हैं, ने सूर्या ट्रेडिंग नाम की एक स्थानीय फर्म को 512 किलो प्याज 512 रुपये में बेचा थे इसका मतलब 1 किलो प्याज की कीमत 1 रुपए में बेचा। उनके द्वारा पेश किये गए बिल के अनुसार, फर्म ने किराए, परिवहन और स्थानीय लेवी के लिए 514 काट लिया. सभी ने बताया, चव्हाण को शुद्ध प्राप्तियों के रूप में 2 का भुगतान किया गया था.
प्याज के निर्यात पर बात करते हुए, केंद्र सरकार ने बताया कि- अप्रैल से दिसंबर 2022 की बीच देश ने कुल 523.8 मिलियन डॉलर्स के प्याज का निर्यात किया है. लेकिन, फिर भी फिर भी, पिछले दो वर्षों में निर्यात पर प्रतिबंध के कारण निर्यात में गिरावट के बीच कीमतों में भारी गिरावट की ओर इशारा करता है, इस बात की जानकारी देते हुए कमोडिटी ट्रैकर IGrain के राहुल चौहान ने बताया.
जब भी इस तरह की समस्या आती है तो सरकार, कमी के दौरान निर्यात को रोकने के लिए, आमतौर पर एक दर तय करती है जिसके नीचे व्यापारी निर्यात नहीं कर सकते, जिसे न्यूनतम निर्यात मूल्य कहा जाता है. बता दें वर्तमान में, ऐसे कोई उपाय नहीं हैं. मोदी सरकार ने मंदी की अवधि के दौरान कीमतों में संभावित वृद्धि से निपटने के लिए 2022-23 के लिए 250,000 टन प्याज का रिकॉर्ड भंडार का निर्माण किया था.
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