RBI : जुलाई 19 को मुंबई में फाइनेंशियल एक्सप्रेस की ओर से आयोजित मॉडर्न बीएफएसआई शिखर सम्मेलन में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि RBI निकट भविष्य में कमर्शियल कंपनियों को बैंक शुरू करने की इजाजत नही देने वाली. उन्होंने इसमें शामिल जोखिमों की ओर इशारा किया, जैसे हितों का टकराव और संबंधित पक्षों के साथ लेन-देन. जब व्यापारिक घरानों को बैंक चलाने की अनुमति देने के बारे में पूछा गया, दास ने कहा कि अभी इस मामले पर अभी कोई विचार नहीं किया जा रहा है.
पहले भी किया है RBI ने इस मामले पर विचार
दस साल पहले, RBI ने कुछ बड़े व्यावसायिक समूहों को नए बैंक लाइसेंस न देने का फैसला किया था. 2020 में बैंक ने इस फैसले पर पुनर्विचार करने का फैसला लिया था. बैंक का मानना था कि ये समूह वास्तव में पूंजी प्रदान करके अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचा सकते हैं. RBI गवर्नर ने बताया कि बैंक अन्य व्यवसायों से अलग तरीके से काम करते हैं, और व्यावसायिक घरानों के पास बैंक होने से संभावित रूप से हितों का टकराव हो सकता है. उन्होंने बताया कि 1960 के दशक के अंत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से पहले, भारत में व्यावसायिक समूह बैंकिंग क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल थे.
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इन बातों पर दिया जोर
दास ने दुनिया भर में संबंधित पक्ष के लेन-देन पर नज़र रखने और उनसे निपटने की चुनौतियों के बारे में बात की. उन्होंने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और भारत में तकनीक-प्रेमी बैंकों की मौजूदगी के महत्व पर ज़ोर दिया. इनसे बचत हो सके और देश भर के लोगों को ऋण उपलब्ध कराया जा सके. उन्होंने बताया कि नियमित बैंकों के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया जारी है और इच्छुक लोगों को आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित भी किया. उन्होंने निजी ऋण में कुछ अच्छे निवेश अवसरों पर भी प्रकाश डाला और संभावित जोखिमों के बारे में आगाह किया जो वित्तीय स्थिरता को ख़तरे में डाल सकते हैं.
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