कोरोना संकट काल में वित्तीय वर्ष 2020 के जनवरी-मार्च तिमाही और पूरे साल के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े को आज यानी शुक्रवार को सरकार जारी कर सकती है. लॉकडाउन4.0 बस समाप्त होना वाला है और इसके अगले चरण को लेकर अटकलों का दौर जारी है. जीडीपी का आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कोविड-19 से लॉकडाउन के बाद यह पहली बार जारी हो रहा है. आज जीडीपी के आंकड़े जारी होने के बाद पता चलेगा कि 25 मई से लागू लॉकडाउन के कारण देश को कितना नुकसान हुआ है.
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इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, लॉकडाउन से पहले भारत का विकास दर पिछले छह साल में सबसे निम्नतम था, ऐसे में जनवरी-मार्च तिमाही में देश की जीडीपी दर 1.2 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं पूरे वित्त वर्ष यानी 2019-20 की बात की जाए तो ये 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी नेशनल स्टेटेस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) जीडीपी के आंकड़े जारी करेगा.
एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगने की आशंका है. देश की अर्थव्यवस्था को 1.4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है. इसका सीधा सा मतलब ये है कि पूरे वित्त वर्ष के लिए 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है जो पहले 5 फीसदी था.
दुनिया की कई केयर रेटिंग्स ने भारत के जीडीपी के कम होने का अनुमान लगाया है. बीते वित्त वर्ष 2019-20 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च तिमाही के जीडीपी आंकड़े को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं हैं. इसके अलावा पूरे साल की जीडीपी आंकड़े भी लुढ़क सकते हैं. रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक चौथी तिमाही में विकास दर 3.6 फीसदी रहेगी. इसी तरह कई एजेंसियों ने जीडीपी आंकड़ों में गिरावट की आशंका जाहिर की है. यही वजह है कि निवेशकों के बीच आशंका बनी हुई है. आपको बता दें कि भारत के व्यापार पर कोरोना का असर फरवरी महीने से ही दिखने लगा था.
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