EPFO Special Recovery Drive: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के द्वारा जल्द ही अपने डिफॉल्टर ग्राहकों से बकाया वसूलने के लिए स्पेशल वसूली अभियान चलाएगा. इस कदम का उद्देश्य “भविष्य निधि और संबद्ध देय राशि की धीमी वसूली की बढ़ती प्रवृत्ति” पर चेक लगाना और लोगों में जागरुकता बढ़ाना है.
EPFO Special Recovery Drive: ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, ईपीएफओ के द्वारा डिफॉल्टर ग्राहकों से बकाया वसूलने के लिए दिसंबर 2023 और फरवरी 2024 अभियान चलाया जाने वाला है. इसके साथ ही, 10 नवंबर को पीआईबी चेन्नई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन दिसंबर 2023 से फरवरी 2024 तक डिफ़ॉल्ट प्रतिष्ठानों से बकाया वसूली के लिए एक विशेष वसूली अभियान चलाएगा.
चेन्नई पीआईबी की तरफ से जारी सख्त अपील में कहा गया है कि डिफॉल्टिंग प्रतिष्ठानों के सभी नियोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे चल-अचल संपत्तियों की कुर्की, बैंक खाते की कुर्की, रिसीवर की नियुक्ति और नियोक्ता की गिरफ्तारी और हिरासत में लेने जैसी वसूली कार्रवाइयों से उत्पन्न होने वाले अप्रिय परिणामों से बचने के लिए ईपीएफ के सभी लंबित बकाए का भुगतान करें.
Also Read: Aadhaar Biometric Lock: आधार से बायोमेट्रिक जानकारी लिक होने का सता रहा डर, ऐसे कर सकते हैं आसानी से लॉकबता दें कि 60 मिलियन से अधिक ग्राहकों और 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कोष का प्रबंधन करने वाला ईपीएफओ अपने लाभार्थियों को तीन योजनाओं के माध्यम से भविष्य निधि, पेंशन और बीमा लाभ प्रदान करता है. अगस्त में, ईपीएफओ ने 16.99 लाख की शुद्ध सदस्य वृद्धि दर्ज की थी.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को एक निर्देश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि वर्तमान और बकाया दोनों की वसूली में प्रदर्शन मुख्यालय द्वारा निर्धारित लक्ष्य से कम हो रहा है. पहल के हिस्से के रूप में, ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को विशेष वसूली अभियान के दौरान क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रदर्शन पर साप्ताहिक समेकित वसूली रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया है.
इस मुद्दे को हल करने के लिए, ईपीएफओ ने छूट प्राप्त और गैर-छूट वाले प्रतिष्ठानों के लिए दिसंबर, जनवरी और फरवरी 2024 के दौरान एक विशेष वसूली अभियान लागू किया है. संगठन ने कहा कि इन कार्रवाइयों का उद्देश्य शीघ्र बकाया वसूली के उद्देश्य को प्राप्त करना है न कि नियोक्ताओं या डिफॉल्टरों को परेशान करना.
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