Hindenburg Case: अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की दूसरी रिपोर्ट के मामले में वित्त मंत्रालय ने किसी भी प्रकार का बयान देने से इनकार कर दिया है. उसने मामले का सारा ठीकरा सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड) के माथे पर फोड़ दिया है. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कहा कि हिंडनबर्ग की दूसरी रिपोर्ट पर सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने जो बयान दिया है, वित्त मंत्रालय के पास उससे अधिक कुछ कहने को बाकी नहीं है.
हिंडनबर्ग की दूसरी रिपोर्ट में सेबी चीफ पर लगा है आरोप
अमेरिकी शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार 10 अगस्त की देर रात जारी अपनी दूसरी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि बाजार विनियामक सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी फंडों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही फंड हैं, जिनका विनोद अदाणी ने कथित तौर पर पैसों की हेराफेरी करने तथा ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था. विनोद अदाणी अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं.
सरकार को कुछ नहीं कहना: अजय सेठ
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि हिंडनबर्ग की दूसरी रिपोर्ट पर सेबी ने बयान दे दिया है. उसकी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने भी बयान दिया है. सरकार को इस पर और कुछ नहीं कहना है. उन्होंने कहा कि बुच ने जो बयान दिया है, वित्त मंत्रालय के पास उससे अधिक कुछ कहने को बाकी नहीं है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट बुच दंपति ने दी सफाई
हिंडनबर्ग के आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा था कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति और मार्च ,2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले था. ये निवेश सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से किए गए थे. सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष निष्क्रिय हो गए.
इसे भी पढ़ें: 77 बरस में भारत कितना हुआ मजबूत, जानें किस रफ्तार से बढ़ा जीडीपी
सेबी ने भी माधवी पुरी बुच का किया बचाव
उधर, सेबी ने भी अपनी चेयरपर्यन माधवी पुरी बुच का बचाव किया. सेबी की ओर से जारी किए गए दो पन्नों के बयान में कहा गया कि माधवी पुरी बुच ने समय-समय पर अदाणी ग्रुप के मामले में कई खुलासे किए हैं. उन्होंने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से भी खुद को अलग रखा है. अदाणी ग्रुप ने भी सेबी प्रमुख के साथ किसी भी तरह के कारोबारी लेन-देन से इनकार किया है. संपत्ति प्रबंधन इकाई 360वन (जिसे पहले आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता था) ने अलग से बयान में कहा कि माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का आईपीई-प्लस फंड 1 में निवेश कुल निवेश का 1.5 फीसदी से भी कम था. उसने अदाणी ग्रुप के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था.
इसे भी पढ़ें: Hindenburg की रिपोर्ट पर जुबानी जंग जारी, शॉर्ट सेलर ने खोला आरोप का एक और पुलिंदा
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.