Old Tax Regime: आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख आने में सिर्फ एक दिन शेष बचे हुए हैं. टैक्सपेयर्स काफी तेजी के साथ आईटीआर फाइल कर रहे हैं. इसमें ज्यादातर लोग पुरानी कर व्यवस्था के तहत आईटीआर फाइल कर रहे हैं, तो कुछ लोग नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के विकल्प को भी चुन रहे हैं. अभी हाल ही में 23 जुलाई 2024 को संसद में पेश किए गए बजट में सरकार ने नई कर व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन की लिमिट को 50,000 से बढ़ाकर 75,000 रुपये और टैक्स स्लैब की लिमिट में भी करीब 1 लाख रुपये की बढ़ोतरी की है.
सरकार के इस कदम से सवाल यह उठने लगा है कि क्या सरकार पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) के समाप्त करना चाहती है, जिसके चलते उसने इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन और टैक्स से छूट का लाभ नहीं दिया है? सरकार पुरानी कर व्यवस्था को क्यों खत्म करना चाहती है? इस सवाल का जवाब प्रत्यक्ष करों में सुधार के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित समिति के सदस्य गिरीश आहूजा बड़े ही आसान लफ्जों में समझा रहे हैं. उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
80सी और 80डी के तहत अधिकतर क्लेम हैं लोग
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रत्यक्ष करों में सुधार के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित समिति के सदस्य गिरीश आहूजा कहते हैं कि बहुत सारे लोगों ने रिटर्न दाखिल करते समय आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स से छूट पाने का क्लेम कर देते हैं, 80डी क्लेम करते हैं और जमा कुछ नहीं करते हैं. इसका कारण यह है कि उन्हें इसका प्रूफ तो कुछ देना नहीं होता. सबको पता है कि 90 पर्सेंट को स्क्रूटनी में आना नहीं है. इसलिए रिटर्न भरने वाले सबसे पहला काम ये करते हैं.
रिटर्न में बोगस एचआरए दिखाते हैं 70 फीसदी लोग
दूसरा कारण यह है कि रिटर्न में 70 पर्सेंट एचआरए (हाउस रेंट अलाउंट) बोगस रहता है. उन्होंने कहा कि जो लोग आरटीआर में हाउस रेंट दिखाते हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों में से कोई अपने पिता को किराया दे रहा है, तो कोई अपने भाई, अपनी बहन, अपने रिश्तेदारों को किराया दे रहा है. लोगों ने हद तो ये कर दी कि कई लोग अपनी पत्नी तक को घर का किराया दे देते हैं. उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं, ‘आने नहीं देती घर में. पहले कहती है कि रेंट दो घर का.’ उन्होंने कहा कि इसमें जजमेंट है. दो-दो जजमेंट है कि लोग एचआरए क्यों ले रहे हैं.
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सरकार के ध्यान में है सबकुछ
गिरीश आहूजा ने आगे कहा कि कहते हैं, ‘सैलरी वाले दान बहुत देते हैं. देता सैलरी वाला ही है और कोई नहीं देता’ लोग कहते हैं कि कबीरदास कह गए थे, ‘चिड़िया चोंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर. दान दिए धन ना घटे, कह गए भक्त कबीर.’ उन्होंने कहा कि धन कहां घटा. उन्होंने कहा कि जितना दिया, उतना वापस ले लिया और ऊपर से डिडक्शन भी ले लिया. तो फिर धन कहां घटा? धन और बढ़ गया. यही कारण है कि सरकार के ध्यान में है कि पुरानी कर व्यवस्था को खत्म करना है और नई कर व्यवस्था को लाना है.
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