नई दिल्ली : नकदी संकट से जूझ रही किफायती सेवाएं देने वाली एयरलाइन गो फर्स्ट ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से कई अंतरिम निर्देश देने की अपील की है. गो फर्स्ट ने अपनी अपील में कहा है कि एनसीएलटी विमानों को पट्टे पर देने वालों को अपने विमान वापस लेने से रोके. इसके साथ ही, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को किसी तरह की जबरिया कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दे.
गो फर्स्ट पर 11,463 करोड़ रुपये का कर्ज
वाडिया समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन गो फर्स्ट पर 11,463 करोड़ रुपये की देनदारी है. कंपनी ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए आवेदन किया है. एनसीएलटी की दिल्ली पीठ गुरुवार को गो फर्स्ट की अपील पर सुनवाई करेगी. गो फर्स्ट ने तीन मई से तीन दिन के लिए अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं.
डीजीसीए की जबरिया कार्रवाई रोकने की अपील
एनसीएलटी के समक्ष दायर अपनी याचिका में एयरलाइन ने विमान पट्टेदारों को कोई भी वसूली कार्रवाई करने से रोकने के साथ-साथ डीजीसीए और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं को जबरिया कार्रवाई से रोकने की अपील की है. अपील में यह भी कहा गया है कि डीजीसीए, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और निजी हवाई अड्डा परिचालक को एयरलाइन को आवंटित प्रस्थान और पार्किंग स्लॉट को रद्द नहीं करें. एयरलाइन यह भी चाहती है कि ईंधन आपूर्तिकर्ता विमान परिचालन के लिए आपूर्ति जारी रखें.
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क्यों पैदा हुआ संकट
गो फर्स्ट ने 17 साल से अधिक समय पहले उड़ान भरना शुरू किया था. एयरलाइन ने कहा है कि प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा इंजन आपूर्ति न करने के कारण उसके बेड़े के आधे से अधिक विमान खड़े हैं, जिससे यह स्थिति पैदा हुई है. एयरलाइन पर कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपये है. इसमें 3,856 करोड़ रुपये की वह रकम भी शामिल है, जो वह परिचालन कर्जदाताओं को चुकाने में चूकी है. विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों का बकाया 2,600 करोड़ रुपये है.
ऋण पुनर्गठन के लिए तैयार हैं तीन कर्जदाता
मुंबई: गो फर्स्ट लेंडर्स सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया , बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) और डॉयचे बैंक ने वाडिया ग्रुप द्वारा प्रवर्तित एयरलाइन को तुरंत अतिरिक्त वित्त प्रदान करने से इनकार कर दिया है, लेकिन पुनर्भुगतान के लिए लंबी अवधि के लिए ऋण पुनर्गठन के लिए तैयार हैं. कंपनी की ओर से एनसीएलटी में दायर स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका ने उधारदाताओं को एक संकट में डाल दिया है. हालांकि, बैंक ऋण और ऋण सुविधाओं को अब मानक खातों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन ऋण पुनर्गठन जल्द ही लागू नहीं होने पर ऋणदाताओं को भारी कटौती का डर है.
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