Gold Price Hike: मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का शंखनाद लगभग हो चूका है. दूसरी तरफ, रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध भी तेज हो गया है. जियो पॉलिटिक्स का असर सोने की कीमतों में पर देखने को मिल रहा है. घरेलू बाजार में सोने की कीमत 73 हजार के पार निकल गया है. दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 1,050 रुपये के उछाल के साथ 73,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार निकल गया है. जबकि, चांदी की कीमत 1,400 रुपये के उछाल के साथ 86,300 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले बंद भाव से 48 डॉलर चढ़कर 2,388 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया है. सोने की बढ़ती कीमते के कारण घरेलू बाजार में ज्वेलरी की मांग में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. ये विक्रेताओं के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है.
वायदा कारोबार में भी आयी तेजी
मजबूत हाजिर मांग के बीच सटोरियों द्वारा ताजा सौदों की लिवाली किये जाने से वायदा कारोबार में शुक्रवार को सोने की कीमत 1,156 रुपये की तेजी के साथ 72,800 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गयी. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में जून माह में आपूर्ति वाले अनुबंध का भाव 1,156 रुपये यानी 1.61 प्रतिशत की तेजी के साथ 72,800 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया. इसमें 23,548 लॉट का कारोबार हुआ. बाजार विश्लेषकों ने कहा कि कारोबारियों द्वारा ताजा सौदों की लिवाली करने से सोना वायदा कीमतों में तेजी आई. वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में सोना 1.76 प्रतिशत की तेजी के साथ 2,414.40 डॉलर प्रति औंस हो गया.
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खुदरा बाजार में दिख रहा असर
प्रमुख खुदरा आभूषण विक्रेता कंपनी सेनको गोल्ड लि. ने कहा कि भू-राजनीतिक कारणों से सोने की कीमतों में हालिया तेज उछाल ने इसकी मांग को कम कर दिया है. वहीं उद्योग का पहली तिमाही का प्रदर्शन, उत्सव और नये साल के मौके पर जारी खरीदारी के रुख पर निर्भर करता है. कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मार्च और अप्रैल में बिक्री में 15-20 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है. सेनको गोल्ड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुवेंकर सेन ने कहा कि पिछले 30 दिनों में, सोने की कीमत लगभग 10 प्रतिशत बढ़ी है और पिछले छह महीनों में यह 23-25 प्रतिशत महंगा हो गया है. इस तीव्र उतार चढ़ाव ने खुदरा खरीद भावना को प्रभावित किया है. उद्योग के लिए मात्रा के संदर्भ में 15-20 प्रतिशत की गिरावट आई है. ईद, बंगाली नव वर्ष, अक्षय तृतीया और क्षेत्रीय नव वर्ष से मांग में सुधार की उम्मीद है, लेकिन चुनाव आचार संहिता के कारण नकदी की आवाजाही पर प्रतिबंध कुछ खुदरा विक्रेताओं के लिए बाधा बन सकता है.
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