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सरकारी बीमा कंपनियों के निजीकरण का रास्ता साफ, जनरल इंश्योरेंस बिजनेस संशोधन बिल-2021 लोकसभा से पास

जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक-2021 से सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में निजी हिस्सेदारी की अनुमति मिल सकेगी, जिनमें सरकार अपनी शेयरधारिता घटाकर 51 फीसदी से नीचे करना चाहती है और संभावित खरीदार को इनके प्रबंधन का नियंत्रण सौंपना चाहती है.

नई दिल्ली : देश में सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी कम करने का रास्ता करीब-करीब साफ हो गया है. सोमवार को लोकसभा में जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) संशोधन बिल-2021 को पास कर दिया गया है. इस बिल को सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया था. सरकार के नए बिल में जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम-1972 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों का निजीकरण किया जा सके.

जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक-2021 से सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में निजी हिस्सेदारी की अनुमति मिल सकेगी, जिनमें सरकार अपनी शेयरधारिता घटाकर 51 फीसदी से नीचे करना चाहती है और संभावित खरीदार को इनके प्रबंधन का नियंत्रण सौंपना चाहती है.

नए बिल में सरकार ने उस धारा को खत्म करने का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत सरकार को नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में कम से कम 51 फीसदी शेयर हमेशा रखना जरूरी है. बिल का उद्देश्य बीमा की पहुंच बढ़ाना और सामाजिक सुरक्षा देना, पॉलिसीधारकों के हितों की बेहतर तरीके से रक्षा और अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि में अंशदान करना है.

सरकार के इस नए बिल में एक नया खंड शामिल किया गया है, जिसके तहत केंद्र सरकार की ओर से बीमाकर्ता पर नियंत्रण छोड़ने की तारीख से अधिनियम की प्रयोज्यता समाप्त करने की बात कही गई है. मौजूदा कानून के तहत एक बीमाकर्ता पर ‘नियंत्रण’ का मतलब है कि केंद्र सरकार को अपनी ओर से बहुसंख्य निदेशकों को नियुक्त करने और प्रबंधन संबंधी या नीतिगत फैसले करने का अधिकार है, जो शेयरधारिता के अधिकार या प्रबंधन के अधिकार के साथ जुड़े हैं.

इसमें बदलाव का तात्पर्य है कि यह शक्तियां अब निजी बीमा कंपनी के बोर्ड के पास होंगी. सरकार निजीकरण के लिए बीमा कंपनी के चयन की कवायद में लगी है, जिसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में की थी. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत वित्त मंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री व अन्य मिलकर निजीकरण के लिए उचित कंपनी का चयन करेंगे और इस प्रस्ताव को कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) के पास भेजेंगे.

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Postwd by : Vishwat Sen

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