सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने साफ कर दिया है कि क्रिप्टो को रेगुलेट करना मुश्किल है. सेबी ने कहा कि क्रिप्टो (Crypto) पूरी तरह से डीसेंट्रलाइज्ड है, इसलिए इसको रेगुलेट करना मुश्किल है. सेबी ने संसदीय कमेटी के एक साल के जवाब में 6 जून को ये बातें कहीं. बता दें कि भारत में वित्तीय मामलों की निगरानी की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी की ही है.
क्रिप्टो कम्युनिटी के लिए अच्छी खबर
क्रिप्टो कम्युनिटी के लिए अच्छी खबर यह है कि सेबी ने इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग नहीं की है. सेबी ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी के लिए सरकार को प्राधिकार की नियुक्ति करनी चाहिए, ताकि गलत काम करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके. आने वाले दिनों में सेबी को इसकी जिम्मेदारी मिल सकती है.
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दिसंबर 2021 में कई रिपोर्ट्स में इस बात के संकेत मिले थे कि भारत सरकार क्रिप्टो एसेट की निगरानी की जिम्मेदारी सेबी को दे सकती है. वित्तीय मामलों की संसदीय कमेटी के सवालों के जवाब में सेबी ने कहा था कि अलग-अलग संस्थानों की निगरानी के लिए अलग-अलग प्राधिकार का गठन किया गया है. उसी तरह क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी के लिए एक संस्था का गठन सरकार कर सकती है. बता दें कि डिजिटल एसेट किसी खास कानून के दायरे में नहीं आते.
सेबी का कहना है कि एक ओर डिजिटल एसेट किसी खास कानून के दायरे में नहीं आते. वहीं, उपभोक्ता को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत सुरक्षा मिलनी चाहिए. भारत में क्रिप्टो के रेगुलेशन पर पिछले एक साल से बहस चल रही है. पहली बार बजट सेशन में ऐसा लगा कि क्रिप्टो को विनियमित करने के लिए सरकार कोई कानून ला सकती है. इससे पहले वर्ष 2017 में भारत सरकार ने क्रिप्टो की माइनिंग करने वाली मशीन ASIC के आयात पर रोक लगा दी थी.
पिछले साल दिसंबर में ऐसा लगा कि संसद में इस संबंध में कोई कानून आ सकता है, लेकिन आज तक ऐसा कुछ हुआ नहीं. इसलिए सरकार की मंशा पर कई बार सवाल खड़े किये गये कि अगर सरकार कानून नहीं लायेगी, तो क्रिप्टो को बैन कैसे करेगी. इन सवालों के बीच वर्ष 2022 में जब वित्त मंत्री ने बजट पेश किया, तो डिजिटल एसेट से होने वाली आय पर टैक्स लगाने की घोषणा कर दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो की ट्रेडिंग से होने वाले कैपिटल गेन पर 30 फीसदी का टैक्स लगाने का ऐलान किया. साथ ही इस पर 1 फीसदी टीडीएस भी लगा दिया गया.
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