Adani Hindenburg Row: अडानी ग्रुप के शेयरों में 70 फीसदी तक गिरावट आई है. इसके साथ ही ग्रुप का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से ज्यादा घट गया है. दरअसल, भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी की कंपनियों के शेयरों को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, अडाणी ग्रुप के शेयरों में गिरावट को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सेबी (SEBI) ने शनिवार को कहा कि वह स्टॉक मार्केट में निष्पक्षता, कुशलता और उसकी मजबूत बुनियाद बनाये रखने के साथ सभी जरूरी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
बताते चलें कि अमेरिका स्थित शार्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडाणी के अगुवाई वाले समूह पर फर्जी लेनदेन और शेयर कीमतों में हेराफेरी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद अडाणी की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट हुई. हालांकि, अडाणी ग्रुप ने इन आरोपों को झूठा बताया है और कहा कि उसने सभी कानूनों और नियामक खुलासों का पालन किया है. बावजूद इसके अडाणी ग्रुप की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में कुल मिलाकर 8.5 लाख करोड़ रुपये की गिरावट हो चुकी है. यह गिरावट छह कारोबारी सत्रों में हुई. अडाणी एंयरप्राइजेज ने अपने 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ (FPO) को भी वापस ले लिया है.
भारतीय शेयर बाजारों बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) ने अडाणी ग्रुप की तीन कंपनियों अडाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises Ltd), अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports) और अंबुजा सीमेंट्स (Ambuja Cement Share) को अपने अल्पकालिक अतिरिक्त निगरानी उपाय (ASM) के तहत रखा है. इसका मतलब है कि इंट्रा-डे ट्रेडिंग के लिए 100 प्रतिशत अपफ्रंट मार्जिन लागू होगा, ताकि इन शेयरों में सट्टेबाजी और शॉर्ट-सेलिंग को रोका जा सके. SEBI ने कहा कि सभी विशिष्ट मामलों के संज्ञान में आने के बाद नियामक मौजूदा नीतियों के अनुसार उनकी जांच करता है और उचित कार्रवाई करता है.
इन सबके बीच, कई विपक्षी नेताओं और कुछ विशेषज्ञों ने अडाणी मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करने के लिए सेबी पर सवाल उठाए हैं. इस मुद्दे पर दो दिन संसद की कार्रवाई भी बाधित रही. कुछ राजनेताओं ने इस मामले में जांच के लिए सेबी और सरकार को पत्र भी लिखा है. विपक्ष दल संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग भी कर रहे हैं. बता दें कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के दस दिनों के भीतर वो रईसों की टॉप 20 लिस्ट से भी बाहर हो गए हैं.
अडानी ग्रुप को इतना बड़ा झटका देने वाले अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के नाम के पीछे की कहानी भी काफी रोचक है. साल 1937 के दौरान जर्मनी में हिटलर का राज था. इस दौर में एक स्पेसशिप था, जिसका नाम हिंडनबर्ग स्पेसशिप था. अमेरिका के न्यूजर्सी में इस स्पेसशिप को जमीन से जो लोग देख रहे थे, उन्हें तभी कुछ असामान्य दिखा. एक धमाके के साथ आसमान में दिख रहे हिंडनबर्ग स्पेसशिप में आग लग गई. लोगों के चीखने की आवाजें सुनाई देने लगीं. इसके बाद यह स्पेसशिप जमीन पर गिर गया. इसमें 16 हाइड्रोजन गैस के गुब्बारे थे. बताया जाता है कि स्पेसशिप में करीब 100 लोगों को जबरन बैठा दिया गया था. गौतम अडाणी के खिलाफ रिपोर्ट लाने वाली रिसर्च कंपनी का नाम हिंडनबर्ग भी इसी हादसे से जोड़कर रखा गया है. कंपनी के मुताबिक, वह हिंडनबर्ग हादसे की तर्ज पर शेयर बाजार में हो रही गड़बड़ियों पर निगरानी रखती है. कंपनी का कहना है कि वह लोगों को शेयर बाजार में ऐसे वित्तीय हादसों से बचाने का काम करती है.
हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप से पहले कई कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट निकाली है. रिपोर्ट के कारण जब कंपनी के शेयर गिर जाते हैं, तो वो उसे खरीदकर ये प्रॉफिट कमाती है. हिंडनबर्ग ने साल 2020 में करीब 16 रिपोर्ट जारी किए थे. इन रिपोर्ट के कारण कंपनियों के शेयरों में औसत तौर पर 15 फीसदी की गिरावट आई थी. हिंडनबर्ग ने निकोला, SCWORX, Genius Brand, Ideanomic , उसने विंस फाइनेंस, जीनियस ब्रांड्स, SC Wrox, एचएफ फूड, ब्लूम एनर्जी, Aphria, ट्विटर इंक जैसी कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट निकाले हैं. इसके बाद इन कंपनियों के शेयरों को शॉर्ट सेलिंग करके कमाई की है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.